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अडानी को कब तक बचाएंगे पीएम मोदी और संवैधानिक संस्थाओं से होता रहेगा समझौता, घोटाले की हो जेपीसी जांच : मल्लिकार्जुन खड़गे

देश के बडे़ दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani)  की कंपनी अडानी ग्रुप (Adani Group)  पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की ओर से व्हिस्लब्लोअर दस्तावेजों को जारी किया गया है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश के बडे़ दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani)  की कंपनी अडानी ग्रुप (Adani Group)  पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की ओर से व्हिस्लब्लोअर दस्तावेजों (Whistleblower Documents) को जारी किया गया है। इन दस्तावेजों के माध्यम से जारी रिपोर्ट में सेबी चीफ माधबी बुच (SEBI Chief Madhabi Buch) द्वारा अडानी ग्रुप (Adani Group) में हिस्सेदारी का दावा किया गया है।

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रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बुच द्वारा साल 2015 में सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड (IPE Plus Fund in Singapore) के साथ एक खाता खोला गया था, जिसमें अडानी समूह (Adani Group) की हिस्सेदारी है। रिपोर्ट के मुताबिक, माधबी बुच (Madhabi Butch) की ऑफशॉर फंड (Offshore funds) में हिस्सेदारी बताई गई है।

इसको लेकर  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने रविवार को एक्स पोस्ट पर लिखा कि जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) के खुलासे के बाद सेबी ने पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी देश के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि, सेबी प्रमुख (SEBI Chief) से जुड़े एक लेन-देन के बारे में नए आरोप सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग से संबंधित छोटे और मध्यम निवेशक जो अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में लगाते हैं, उन्हें सुरक्षा की जरूरत है, क्योंकि वे सेबी (SEBI) पर भरोसा करते हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge)  ने कहा कि इस बड़े घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच जरूरी है। उन्होंने कहा कि तब तक, चिंता बनी हुई है कि जब तक पीएम मोदी (PM Modi) अपने सहयोगी को बचाते रहेंगे, जिससे सात दशकों में कड़ी मेहनत से बनाई गई भारत की संवैधानिक संस्थाओं (Constitutional Institutions) से समझौता होगा।

 

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने रविवार को एक्स पोस्ट पर वीडियो शेयर कर लिखा कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सात न्यायाधीशों की बेंच (7-Judge Bench) का फ़ैसला आया, जिसमें उन्होंने एससी-एसटी(SC-ST) वर्ग के लोगों के लिए सब ​कटेगरी (Sub-Categorisation) का बात की। इस फ़ैसले में एससी-एसटी(SC-ST) वर्ग के आरक्षण में क्रीमी लेयर (Creamy Layer) की भी बात की गई।

भारत में अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) के लोगों को सबसे पहले आरक्षण बाबासाहेब डॉ अंबेडकर के पूना पैक्ट (Poona Pact) के माध्यम से मिला। बाद में पंडित नेहरू और महात्मा गांधी जी के योगदान से इसे संविधान में मान्यता देकर, नौकरी और शैक्षिक संस्थाओं (Educational Institutions) में भी लागू किया गया था।

परंतु 70 सालों के बाद भी सरकारी नौकरियों में जब एससी-एसटी(SC-ST) समुदायों के लोगों की भर्तियाँ देखते है, तो पाते है कि अभी भी जो वैकेंसी (vacancies) है वो नहीं भरी जा रही है, अधिकतर पद ख़ाली है। जिसका अर्थ है कि इन वर्ग के लोग, सम्मिलित रूप से मिलकर भी इन पदों को नहीं भर पा रहे। ये अभी भी सामान्य वर्ग के लोगों के साथ (Compete) नहीं कर सकते।

और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आरक्षण का आधार किसी समुदाय या व्यक्ति की आर्थिक तरक़्क़ी (Economic Development) नहीं था। बल्कि यह समाज में हज़ारों सालों से फैली अस्पृश्यता(Untouchability) छूआछूत को मिटाना ख़त्म करना है । और यह समाज से अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है। कई उदाहरण रोज़ हमारे सामने आते हैं।

इसलिए एससी-एसटी(SC-ST) समुदाय में क्रीमी लेयर (Creamy Layer) के बारे में बात करना ही ग़लत है । कांग्रेस पार्टी इसके ख़िलाफ़ है।

एक तरफ़ सरकार धीरे धीरे सरकारी PSU बेचकर नौकरियां ख़त्म कर रही है। ऊपर से, भाजपा की दलित-आदिवासी मानसिकता, आरक्षण पर निरंतर प्रहार कर रही है। सरकार चाहती तो इस मुद्दे को इसी सत्र में संविधान संशोधन लाकर सुलझा सकती थी। मोदी सरकार 2-3 घंटे के अंदर नई बिल ले आती है तो ये भी संभव था।

न्याय (Judgement) के अन्य विषयों की बारीकी के ऊपर निर्णय करने के लिए हम अलग -अलग लोगों से intellectual, experts, NGOs के साथ consultations कर रहे हैं।

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