कई लोग खाने को बहुत अधिक देर तक पकाते हैं खासतौर से आलू हरी सब्जियां आदि को। एक रिपोर्ट के अनुसार आलू, मीट, हरी सब्जियों और अनाज को देर पकाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
कई लोग खाने को बहुत अधिक देर तक पकाते हैं खासतौर से आलू हरी सब्जियां आदि को। एक रिपोर्ट के अनुसार आलू, मीट, हरी सब्जियों और अनाज को देर पकाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
अधिकतर लोग आलू को अधिक देर तक के लिए भुनने और पकने के लिए छोड़ देते है। तमाम चीजों को गैस पर पकने के बाद भी धीमी धीमी आंच पर रखकर छोड़ दिया जाता है ताकि इसके स्वाद को बढ़ाया जा सके। आलू की भुजिया बनाने के लिए भी अधिक देर तक उसे पकने के बाद भी लाल और कुरकुरा करने के लिए छोड़ दिया जाता है।
तलने या भूनने पर एक्रिलाइमाइड केमिकल निकलता है जो कार्सिनोजेनिक होता है। इसलिए आलू को माध्यम ताप पर पकाना और तलने की बजाय उबाल अधिक फायदेमंद होता है।
वहीं हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक और मेथी में आयरन और तमाम पोषक तत्व पाये जाते है। जो अधिक देर तक पकाने से उसमें मौजूद पोषण तत्व नष्ट हो जाते है। साथ ही कुछ रासायनिक परिवर्तन होते है। लंबे समय तक पकाने पर इसमें मौजूद नाइट्रेट नाइट्राइट में बदल सकता है जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।
इसके अलावा चावल और बाकी के अनाज को जरुरत से ज्यादा पकाने से इसमें एक्रिलामाइड पैदा हो सकता है। जो कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए चावल को सही मात्रा में पानी में उबालने और पकाते समय ध्यान रखना चाहिए।
शहद को अधिक तापमान पर गर्म करने से यह हाइड्रॉक्सिमेथिलफुरफुरल (HMF) में बदल सकता है। HMF कार्सिनोजेनिक होता है, जो शरीर में जानलेवा गांठ बना सकता है। इसलिए, शहद को हमेशा कम तापमान पर उपयोग करें, जैसे कि चाय में डालने से पहले उसे गर्म न करें।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मीट को जरुरत से ज्यादा देर तक पकाने से सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। मीट को ज्यादा देर तक पकाने से कार्सिनोजेनिक पीएएच और हेटेरोसाइक्लिक एमाइन बनते है। ये पदार्थ कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव करके कैंसर वाले ट्यूमर बना सकता है।