जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स एक न्यूज पेपर की कटिंग को शेयर करते हुए ऑटोमोबाइल बिक्री में गिरावट दर्ज करने की बात कही है। उन्होंने लिखा कि, भारतीय उद्योग जगत एक बार फिर खतरे की घंटी बजा रहा है-इस बार वजह है ऑटोमोबाइल बिक्री में गिरावट। 2018-19 में कुल वाहनों की बिक्री में पैसेंजर कारों की हिस्सेदारी 65% थी-अब यह घटकर मात्र 31% रह गई है। वहीं, SUV और बहुउद्देशीय (multi -purpose वाहनों की हिस्सेदारी बढ़कर 65% हो गई है।
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि, कुल वाहनों की बिक्री में पैसेंजर कारों की खरीदारी में काफी गिरावट आई है। खरीदार अब नई कारों की जगह सेकेंड हैंड कार बाज़ार की ओर रुख कर रहे हैं। वहीं, महंगी एसयूवी की तेज़ी से बढ़ती बिक्री और आम यात्री कारों की सुस्त बिक्री यह संकेत देती है कि आर्थिक विकास का बड़ा हिस्सा केवल संपन्न वर्ग तक सीमित रह गया है।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स एक न्यूज पेपर की कटिंग को शेयर करते हुए ऑटोमोबाइल बिक्री में गिरावट दर्ज करने की बात कही है। उन्होंने लिखा कि, भारतीय उद्योग जगत एक बार फिर खतरे की घंटी बजा रहा है-इस बार वजह है ऑटोमोबाइल बिक्री में गिरावट। 2018-19 में कुल वाहनों की बिक्री में पैसेंजर कारों की हिस्सेदारी 65% थी-अब यह घटकर मात्र 31% रह गई है। वहीं, SUV और बहुउद्देशीय (multi -purpose वाहनों की हिस्सेदारी बढ़कर 65% हो गई है।
उन्होंने आगे लिखा, कारों की बिक्री को लंबे समय से भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत का संकेतक माना जाता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में इस संबंध में विच्छेद (decoupling) आई है-मध्यम दर से बढ़ रही GDP के बावजूद कार बिक्री में बहुत कम वृद्धि हो रही है। खरीदार अब नई कारों की जगह सेकेंड हैंड कार बाज़ार की ओर रुख कर रहे हैं। ऑटो निर्माता अब घरेलू बाजार की बजाय निर्यात बाज़ारों को ध्यान में रखकर उत्पादन कर रहे हैं।
जयराम रमेश ने आगे कहा कि, इस ट्रेंड से भारतीय अर्थव्यवस्था की क्या तस्वीर सामने आती है? उपभोग अर्थव्यवस्था से बहुसंख्यक भारतीय बाहर हैं-लगभग 88% भारतीय परिवार सालाना 12 लाख रुपये से कम कमाते हैं। असमानता बढ़ रही है -महंगी एसयूवी की तेज़ी से बढ़ती बिक्री और आम यात्री कारों की सुस्त बिक्री यह संकेत देती है कि आर्थिक विकास का बड़ा हिस्सा केवल संपन्न वर्ग तक सीमित रह गया है। विकराल असमानता-निचले और मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ता अपनी वर्तमान आय श्रेणियों में फंसे हुए हैं और उससे ऊपर उठने में असमर्थ हैं। ठहरी हुई आमदनी-उच्च मुद्रास्फीति के बीच निम्न और मध्य वर्ग की आय वर्षों से ठहरी हुई है। कमजोर निवेश का माहौल-घरेलू अर्थव्यवस्था में कमजोर मांग के कारण कंपनियों को न तो नए कारखाने लगाने की प्रेरणा मिल रही है, न ही घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाने की।