भारतीय नौसेना अपनी ताकत को बढ़ाने का काम कर रहा है। अब भारतीय नौसेना अपने पुराने युद्धपोतों और पनडुब्बी जहाजों की जगह नये युद्धपोतों व पनडुब्बी जहाजों के निर्माण की मंजूरी देने का मन बनाया है।
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना अपनी ताकत को बढ़ाने का काम कर रहा है। अब भारतीय नौसेना अपने पुराने युद्धपोतों और पनडुब्बी जहाजों की जगह नये युद्धपोतों व पनडुब्बी जहाजों के निर्माण की मंजूरी देने का मन बनाया है। और पुरानी जहाजों की मरम्मत करेगा। जानकारी के मुताबिक सरकार ने 17 नए युद्धपोतों और 9 पनडुब्बियों को मंजूरी देने की तैयारी कर ली है। इसमें 2.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक की लागत आयेगी। इस समय भारतीय नौसेना के पास 130 से ज्यादा जहाज और पनडुब्बियां हैं। पुराने Platforms के तेजी से पुराने पड़ने के चलते नए पोत जरूरी होगये हैं। जिससे नेवी की ताकत कम न हो सके। भारतीय नौसेना के पास अब भी कई पुरानी पनडुब्बियां हैं। जानकारी के मुताबिक 6 स्वदेशी स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों के शामिल होने के बावजूद नौसेना की पनडुब्बी शाखा में 12 पुरानी पनडुब्बियां चालू हैं। जानकारी के मुताबिक देश में नौसेना के 61 युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण अलग-अलग चरणों में किया जा रहा है। इसके अलावा नए जहाज भी देश में ही बनाए जाएंगे। चीन के ताकत को कम करने के लिये भारतीय नेवी को युद्वपोत और पनडुब्बी जहाजों की जरुरत है। बतादें कि इस समय चीन के पास 355 युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं।
यह दुनिया की सबसे बड़ी नेवी मानी जाती है। जिसकों देखते हुये चीन की ताकत को कम करने के लिये भारतीय नौसेना ने नये युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण पर विचार किया है। सूत्रों के मुताबिक, नए युद्धपोत और पनडुब्बियां पुराने युद्धपोत और पनडुब्बियां की जगह लेंगे। कमोडोर अनिल जय सिंह (रिटायर्ड) एक रक्षा विशेषज्ञ हैं। उनके अनुसार, भारतीय नौसेना का ये प्लान किसी खतरे को देखकर नहीं, बल्कि अपनी क्षमता और ताकत को बढ़ाने पर आधारित है। खतरा तो समय के साथ बदल सकता है। उन्होंने कहा कि पुराने जहाजों को आधुनिक तकनीक वाले जहाजों से बदला जाएगा। साथ ही, जहाजों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। जिसकी वजह से भारतीय नेवी की तकनीकी क्षमता और युद्ध जीतने की ताकत बढ़ेगी। भारतीय नेवी भी दूसरे देश की नेवी से अधिक शक्तिशाली बनेगी। और अपनी शक्ति से दुश्मन देश की हवा टाइट कर देगी।