भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO) और एकीकृत रक्षा स्टाफ ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से हाइपरसोनिक वाहन परीक्षण (Hypersonic Vehicle Testing) किया है। परीक्षणों ने सभी आवश्यक पैरामीटर हासिल कर लिए और उच्च क्षमता का प्रदर्शन किया है।
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO) और एकीकृत रक्षा स्टाफ ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से हाइपरसोनिक वाहन परीक्षण (Hypersonic Vehicle Testing) किया है। परीक्षणों ने सभी आवश्यक पैरामीटर हासिल कर लिए और उच्च क्षमता का प्रदर्शन किया है। इस परीक्षण के बाद भारत के रक्षा क्षेत्र को और अधिक मजबूती मिलेगी, खासकर पाकिस्तान और चीन की चालबाजी को नाकाम करने के लिए एक अहम हथियार साबित होगा। इस वाहन की खास बात यह है कि यह ध्वनि की गति से पांच गुना तेज रफ्तार से उड़ान भरती है।
दुश्मनों पर तेजी से करेगा वार
हाइपरसोनिक वाहन (Hypersonic vehicle) अंतरिक्ष में तेजी से पहुंच, लंबी दूरी पर तेजी से सैन्य प्रतिक्रिया और वाणिज्यिक हवाई यात्रा के तेज साधन सक्षम करते हैं। एक हाइपरसोनिक वाहन एक हवाई जहाज, मिसाइल या अंतरिक्ष यान हो सकता है। हाइपरसोनिक तकनीक (Hypersonic Technology) को नवीनतम अत्याधुनिक तकनीक माना जाता है। चीन, भारत, रूस और अमेरिका सहित कई देश हाइपरसोनिक हथियारों (Hypersonic Weapons)को और आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं।
हाइपरसोनिक तकनीक पर भारत पिछले कुछ वर्षों से कर रहा है काम
भारत पिछले कुछ वर्षों से हाइपरसोनिक तकनीक (Hypersonic Technology) पर काम कर रहा है। अमेरिकी कांग्रेस (US Congress) में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत रूस के साथ मिलकर हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने में लगा हुआ है। इस साल रूस ने कथित तौर पर यूक्रेन युद्ध में अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल किंजल (Hypersonic Missile Kinjal) का इस्तेमाल किया था। भारत अपने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल प्रोग्राम के हिस्से के रूप में एक स्वदेशी, दोहरी-सक्षम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Hypersonic Cruise Missile) भी विकसित कर रहा है। यह मिसाइल पारंपरिक हथियारों के साथ-साथ परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) को भी दागने में सक्षम होगी।