सनातन धर्म भगवान भैरव की पूजा बड़े विधि विधान से की जाती है। भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं।
Jyeshtha Kalashtami 2023 : सनातन धर्म भगवान भैरव की पूजा बड़े विधि विधान से की जाती है। भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं। शैव धर्म में, भैरव शिव के विनाश से जुड़ा एक उग्र अवतार हैं। वैदिक पंचांग के हर माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtami 2023) के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि कालाष्टमी Kalashtami 2023 पर व्रत व पूजा करने से मनोवांक्षित फलों की प्राप्ति होती है। कालाष्टमी (Kalashtami 2023) पर भगवान भैरव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कालाष्टमी (Kalashtami 2023) पर व्रत करने से सर्व मनोकामना पूरी होती है। ज्येष्ठ माह में कालाष्टमी (Kalashtami 2023) व्रत किया जाता है। आइये जानते है कालाष्टमी (Kalashtami 2023) व्रत की तिथि, मुहूर्त व पूजा विधि के बारे में
ज्येष्ठ माह कालाष्टमी 2023 तारीख (Kalashtami 2023 Date)
प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। ज्येष्ठ माह की कालाष्टमी तिथि की शुरुआत 12 मई 2023 की सुबह 09ः06 पर होगी। इसका समापन अगले दिन 13 मई को सुबह 06ः50 पर होगा। भगवान भैरव की पूजा उपासना रात के समय की जाती है ऐसे में कालाष्टमी 12 मई को मनाई जाएगी।
भैरव बाबा को सात्विक भोग
भैरव बाबा को सात्विक भोग में हलवा , खीर , गुलगुले ( मीठे पुए ) , जलेबी अत्यधिक पसंद है मिठाइयों का भोग भैरव बाबा को लगाकर काले कुत्ते को खिलाना चाहिए और काली उड़द की दाल से बने दही भल्ले , पकोड़े आदि का भोग भैरव बाबा को लगाकर किसी गरीब को खिलाना चाहिए। इस दिन भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा करें और आरती करें। भगवान शिव का पूजन करने के बाद भगवान भैरव की पूजा करें। कालाष्टमी के दिन आधी रात को धूप, काले तिल, दीपक, उड़द, सरसों का तेल अर्पित कर काल भैरव की पूजा करें।