लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसडी सिंह जामवाल ने कहा कि भड़काऊ भाषण तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा दिए गए थे। जिस कारण 24 सितंबर को केंद्र शासित प्रदेश में हिंसा हुई। लेह में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पुलिस अधिकारी ने कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर केंद्र के साथ बातचीत को पटरी से उतारने का आरोप लगाया और कहा कि पांच से छह हज़ार लोगों ने सरकारी इमारतों और राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर हमला किया।
नई दिल्ली। लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (Director General of police) एसडी सिंह जामवाल ने कहा कि भड़काऊ भाषण तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा दिए गए थे। जिस कारण 24 सितंबर को केंद्र शासित प्रदेश में हिंसा हुई। लेह में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पुलिस अधिकारी ने कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) पर केंद्र के साथ बातचीत को पटरी से उतारने का आरोप लगाया और कहा कि पांच से छह हज़ार लोगों ने सरकारी इमारतों और राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि 24 सितंबर को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। चार लोगों की जान चली गई और बड़ी संख्या में नागरिक, पुलिस अधिकारी और अर्धसैनिक बल के अधिकारी घायल हो गए। इन प्रक्रियाओं से केंद्र के साथ चल रही बातचीत को विफल करने की कोशिश की गई है।
डीजीपी एसडी सिंह जामवाल (DGP SD Singh Jamwal) ने कहा कि इसमें कुछ तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ता शामिल थे। उनकी विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान है। उन्होंने मंच को हाईजैक (hijack) करने की कोशिश की और इसमें प्रमुख नाम सोनम वांगचुक का है, जिन्होंने पहले भी ऐसे बयान दिए हैं और प्रक्रिया को पटरी से उतारने का काम किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ बातचीत से पहले सोशल मीडिया पर भड़काऊ भाषणों और वीडियो की संख्या में वृद्धि हुई थी। उन्होंने कहा कि छह अक्टूबर को उच्चाधिकार समिति (high powered committee) की बैठक और 25-26 सितंबर को प्रारंभिक बैठकों (preliminary meetings) की तारीखों की घोषणा की गई थी, लेकिन दस सितंबर को भूख हड़ताल को ऐसे तत्वों द्वारा शांति भंग करने का मंच बना दिया गया। वार्ता से पहले भाषणों और वीडियो में वृद्धि हुई, जो हमारा मानना है कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के लिए खतरनाक थे। डीजीपी ने कहा कि सीआरपीएफ अधिकारियों (CRPF officers) की पिटाई की गई और कम से कम तीन महिला पुलिस अधिकारी भी उस इमारत में फंसी हुई थीं जिसे जला दिया गया था।
हैरानी की बात है कि 24 सितंबर को लोगों का एक बड़ा समूह इकट्ठा हुआ। वहां असामाजिक तत्व (antisocial elements) मौजूद थे। पांच से छह हजार लोगों ने सरकारी इमारतों (government buildings) और राजनीतिक दलों के कार्यालयों को नुकसान पहुंचाया, पथराव किया। उन इमारतों में हमारे अधिकारियों पर भी हमला किया गया। एक राजनीतिक दल के कार्यालय को जला दिया गया और सीआरपीएफ अधिकारियों को पीटा गया। एक अधिकारी गंभीर रूप से घायल है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तीन-चार महिला पुलिस अधिकारी भी इमारत में फंसी हुई थीं। डीजीपी जामवाल ने कहा कि पुलिस की गोलीबारी (firing) में चार नागरिक मारे गए। इतने बड़े हमले को रोकने के लिए गोलीबारी की गई थी। जिसमें चार दुर्भाग्यपूर्ण मौतें हुईं। पहले दिन 32 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। बाद में पता चला कि 70-80 सुरक्षा अधिकारी और इतनी ही संख्या में नागरिक घायल हुए थे। उनमें से सात की हालत गंभीर थी और एक महिला को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया।” घटना के पीछे किसी विदेशी संलिप्तता (Foreign involvement) के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जांच के दौरान दो और लोगों को पकड़ा गया। अगर वे किसी साजिश का हिस्सा हैं, तो मैं नहीं कह सकता। इस जगह पर नेपाली लोगों (nepali people) के मज़दूरी करने का इतिहास रहा है, इसलिए हमें जांच करनी होगी।