एक छोटी सी दुकान चलाने वाले परिवार के बेटे के छोटे से स्टार्टअप ने दुनिया भर में अपना नाम कमाया और करोड़ों के मालिक बने। हम बात कर रहे हैं ओयो के संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल की। आज 35 से अधिक देशों में उनका बिजनेस फैला हुआ है।
Success story of Oyo founder and CEO Ritesh Agarwal: एक छोटी सी दुकान चलाने वाले परिवार के बेटे के छोटे से स्टार्टअप ने दुनिया भर में अपना नाम कमाया और करोड़ों के मालिक बने। हम बात कर रहे हैं ओयो (OYO) के संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal Founder and CEO of OYO) की। आज 35 से अधिक देशों में उनका बिजनेस फैला हुआ है।
आज रितेश अग्रवाल करोड़ों के मालिक है। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उनकी जेब में मात्र तीस रुपए थे। रितेश के पिता की आंखों में अपने बेटे को आईआईटी इंजीनियर बनाने का सपना था। अपने पिता के सपने को साकार करने रितेश आईआईटी कोटा भी पहुंच गए।
लेकिन घूमने के शौंकीन रितेश का पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगा। उन्होंने पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया। रितेश का सपना था पूरे भारत में घूमना। घूमने के दौरान उन्होंने एहसास हुआ कि लोगो को किफायती होटलों की जरुरत है। उन्होंने होटलों में बेसिक चीजों में ध्यान दिया जैसे एसी, वाई फाई, आरामदायक बिस्तर और ब्रेकफास्ट की अच्छी सुविधा। इन समस्या दो देखते हुए ही उनके दिमाग में बेहतरीन बिजनेस आईडिया आया।
हालांकि यह इस सपने को साकार करना इतना आसान नहीं था। कई तरह की मुश्किलों और रास्तों के रोड़ों को हटाते हुए उन्होंने आखिर कार अपने बिजनेस को सफल बनाया। रितेश ने साल 2012 में ओरावेल स्टेज नाम से स्टार्टअप किया। इसमें उन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ा। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और निरंतर आगे बढ़ने के लिए एक और छोटा कदम बढ़ाया। रितेश की जेब में मात्र तीस रुपए थे।
जिसे लेकर वे दिल्ली के मोठ मार्केट में सिम खरादा और उसे बेचने लगे। वहीं 2013 में उन्हें थिएल फेलोशिप के लिए सेलेक्ट किया गया। इसके लिए उन्हें एक लाख डॉलर मिले थे। इसी पैसों से रितेश ने ओयो रुम्स (Oyo Rooms) की शुरुआत की। रितेश ने इसका नाम पहले ओरावेल स्टे था जिसे बदलकर बाद में ओयो रुम्स कर दिया। आज ओयो 35 देशों में है। जबकि डेढ़ लाख से ज्यादा ओयो के साथ जुड़े हैं।
ओडिशा के छोटे से गांव में हुआ था उनका जन्म
रितेश का जन्म एक मारवाड़ी परिवार में 16 नवबंर 1993 में हुआ था। रितेश ओडिशा का जन्म बिस्सम कटक में हुआ था वहीं उनकी परवरिश टिटिलागढ़ में हुई। रितेश का परिवार एक छोटी सी दुकान चलाकर गुजारा करता था। 2011 में कॉलेज के लिए दिल्ली जाने से पहले उन्होंने सेक्रेड हार्ट स्कूल और बाद में सेंट जॉन्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से स्नातक किया।