1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. मुलायम परिवार की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने CBI की क्लोज़र रिपोर्ट को किया खारिज, पत्रकारों से पूछताछ के निर्देश

मुलायम परिवार की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने CBI की क्लोज़र रिपोर्ट को किया खारिज, पत्रकारों से पूछताछ के निर्देश

दिल्ली की रॉउज एवेन्यू कोर्ट (Delhi's Rouse Avenue Court) ने दिवंगत सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के परिवार की आय से अधिक संपत्ति के मामले पर CBI के तरफ से दाखिल क्लोज़र रिपोर्ट (Closure Report) को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में आगे की जांच के आदेश दिए गए हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। दिल्ली की रॉउज एवेन्यू कोर्ट (Delhi’s Rouse Avenue Court) ने दिवंगत सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के परिवार की आय से अधिक संपत्ति के मामले पर CBI के तरफ से दाखिल क्लोज़र रिपोर्ट (Closure Report) को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में आगे की जांच के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में CBI की क्लोजर रिपोर्ट (CBI Closure Report) के उस अंश पर सवाल उठाया जिसमे कहा गया था कि मीडियाकर्मियों ने जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों के स्रोत का खुलासा करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि मीडिया जांच एजेंसियों को अपने स्रोतों का खुलासा नहीं करेगा।

पढ़ें :- CBI, ED और NIA का BJP कितना भी कर ले इस्तेमाल, लेकिन सत्ता में नहीं होगी वापसी : ममता बनर्जी

अदालत ने स्पष्ट किया कि भारत में पत्रकारों को जांच एजेंसियों को अपने स्रोत का खुलासा करने से कोई वैधानिक छूट नहीं है। अदालत ने सीबीआई (CBI)  की ओर से दायर उस क्लोजर रिपोर्ट (Closure Report)  को खारिज कर दिया जिसमें कथित जालसाजी के एक मामले की जांच पूरी नहीं कर सकी। क्योंकि जिन पत्रकारों ने कथित जाली दस्तावेज को प्रकाशित और प्रसारित किया, उन्होंने स्रोत का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

प्राथमिकी के अनुसार कुछ समाचार चैनलों और पत्रों ने नौ फरवरी 2009 को यानी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की निर्धारित तारीख से एक दिन पहले दिवंगत मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav)  और परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले से संबंधित रिपोर्ट प्रसारित और प्रकाशित की थी। खबर प्रकाशित होने के बाद सीबीआई (CBI)  ने अज्ञात लोगों के खिलाफ कथित तौर पर फर्जी और मनगढ़ंत खबर के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी।

हालांकि, बाद में सीबीआई (CBI)   ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की। न्यायाधीश ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया और सीबीआई (CBI)   को पत्रकारों से पूछताछ करने का निर्देश देते हुए कहा, एजेंसी ने जांच को अपने स्तर पर तार्किक निष्कर्ष ले जाने का विकल्प नहीं चुना था। अदालत ने कहा, केवल इसलिए कि संबंधित पत्रकारों ने अपने संबंधित स्रोतों को प्रकट करने से इनकार कर दिया जैसा कि अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है, जांच एजेंसी को पूरी जांच पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी।

अदालत ने कहा, विशेष रूप से जहां आपराधिक मामले की जांच में सहायता के उद्देश्य से इस तरह का खुलासा आवश्यक है। संबंधित पत्रकारों को जांच की कार्यवाही के लिए आवश्यक और महत्वपूर्ण होने के कारण स्रोत के प्रकटीकरण की आवश्यकता है। जांच एजेंसी आईपीसी और सीआरपीसी (CRPC) के तहत पूरी तरह से सुसज्जित है, जहां सार्वजनिक व्यक्तियों को अनिवार्य रूप से एक जांच में शामिल होने की आवश्यकता होती है, जहां जांच एजेंसी संबंधित है। राय है कि ऐसे सार्वजनिक व्यक्ति जांच और सार्वजनिक व्यक्ति के मामले से संबंधित किसी भी तथ्य या परिस्थितियों के बारे में गोपनीय हैं जांच में शामिल होना उनका कानूनी कर्तव्य है।

पढ़ें :- Delhi Liquor Scam : मनीष सिसोदिया को CBI ने बताया घोटाले का मास्‍टरमाइंड, अदालत 30 अप्रैल को सुनाएगी फैसला

सीबीआई (CBI)  के अपने अधिकार क्षेत्र में है कि वह आवश्यक जानकारी प्रदान करने और कानून के अनुसार सूचना के प्रकटीकरण के मामले के आवश्यक तथ्यों को उनके संज्ञान में लाने के लिए संबंधित पत्रकारों/समाचार एजेंसियों को सीआरपीसी की धारा 91 के तहत नोटिस जारी करे। उन्होंने कहा कि संबंधित पत्रकारों से इस पहलू पर आगे की पूछताछ की आवश्यकता है उनके संबंधित स्रोत जिनसे उन्हें कथित जाली दस्तावेज प्राप्त हुए, जो उनके संबंधित समाचारों का आधार बने।

न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह की जानकारी के आधार पर, कथित आपराधिक साजिश में शामिल अपराधियों की पहचान के बारे में अतिरिक्त सुराग, तैयार और धोखाधड़ी से और जान-बूझकर नकली दस्तावेज़ को मीडिया को प्रदान करके और इसे प्रकाशित और प्रसारित करके वास्तविक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और जांच की जा सकती है।

न्यायाधीश ने आगे कहा कि अंतिम रिपोर्ट जांच के पहलू पर पूरी तरह से चुप है। अगर कोई आधिकारिक दस्तावेज यानी स्थिति रिपोर्ट कैसे सीबीआई की रिपोर्ट जिसे सीलबंद कवर में रखा गया था सीबीआई (CBI)  के कार्यालय से शीर्ष अदालत के समक्ष दायर किए जाने से एक दिन पहले लीक हो गई और अंततः मीडिया तक पहुंच गई।

अदालत ने सीबीआई (CBI) को वर्तमान मामले में आगे की जांच करने का निर्देश देते हुए एजेंसी को 24 मार्च तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा यादव और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा अर्जित संपत्तियों की प्रारंभिक जांच करें।

पढ़ें :- बीजेपी में जाते ही बेदाग हो गए ये भ्रष्टाचारी, अब तक शामिल 25 विपक्षी नेताओं में से 23 को मिली राहत!
इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...