"श्री भगवती स्तोत्र" देवी की स्तुति का एक प्रसिद्ध पाठ है, जिसमें देवी की महिमा और उनके गुणों का वर्णन किया गया है।
Shri Bhagwati Stotra : “श्री भगवती स्तोत्र” देवी की स्तुति का एक प्रसिद्ध पाठ है, जिसमें देवी की महिमा और उनके गुणों का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि श्री भगवती स्तोत्र का पाठ मानसिक बीमारियों में लाभकारी हो सकता है, क्योंकि यह मन को शांत करता है और दिव्य शक्ति प्रदान करता है। यह स्तोत्र रोगों, दुखों और दारिद्र्य को दूर करने में मदद करता है। देवी भगवती की पूजा में देवी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के मंत्रों, स्तोत्रों और अनुष्ठानों का प्रयोग किया जाता है। हिंदू धर्म में, भगवती शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से देवी दुर्गा को संबोधित करने के लिए किया जाता है। देवी भगवती को समर्पित एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ देवी भागवत पुराण है।
शुद्धता
स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
ध्यान
स्तोत्र का पाठ करते समय देवी भगवती का ध्यान करें। पाठ से पहले देवी माँ की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर उनका ध्यान करें।
भक्ति
स्तोत्र का पाठ भक्तिभाव से करें।
नियम-निष्ठा
स्तोत्र का पाठ नियम-निष्ठा से करें।
समय
आप किसी भी समय स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, लेकिन सुबह या शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
श्री भगवती स्तोत्र
जय भगवति देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहुफलदे ।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे, प्रणमामि तु देवी नरार्तिहरे ।।1।।
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे, जय पावकभूषितवक्त्रवरे ।
जय भैरवदेहनिलीन हरे, जय अंधकदैत्यविशोषकरे ।।2।।
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे, जय लोकसमस्तकपापहरे ।
जय भगवति देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहुफलदे ।।3।।
जय षण्मुखसायुधईशनुते, जय सागरगामिनि शम्भुनुते ।
जय दुःखदरिद्रविनाशकरे, जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे ।।4।।
जय भगवति देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहुफलदे ।
जय देवि समस्तशरीरधरे, जय नाकविदर्शिनि दुःखहरे ।।5।।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्षकरे, जय वांछितदायिनि सिद्धिवरे ।
जय भगवति देवी नमो वरदे, जय पापविनाशिनी बहुफलदे ।। 6।।
एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि: ।
ग्रहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा ।।7।।