हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास हिन्दू वर्ष का तीसरा माह है। इस माह का बहुत ही धार्मिक महत्व है। ज्येष्ठ के महीने में भगवान सूर्य देव अपने चरम रूप में होते हैं। गर्मी अपनी उच्च स्थिति पर होती है।
Religious Significance of Jyestha Month : हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास हिन्दू वर्ष का तीसरा माह है। इस माह का बहुत ही धार्मिक महत्व है। ज्येष्ठ के महीने में भगवान सूर्य देव अपने चरम रूप में होते हैं। गर्मी अपनी उच्च स्थ्िित पर होती है। सूर्य के तेज के कारण नदी और तालाब सूखने के कगार पर पहुंच जाते हैं। इसी वजह से इस माह में जल का भी विशेष महत्व होता है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण ही इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है। इस माह में सूर्य और जल तत्व की उपासना सर्वोत्तम मानी जाती है।इस बार 6 मई यानी से ज्येष्ठ महीने की शुरुआत हो चुकी है जो 4 जून तक रहेगा।
गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है
इस पवित्र मास में गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी जैसे व्रत और पर्व मनाए जाते हैं, इन पर्वों में जल के संरक्षण का भाव छिपा है। ये सभी व्रत और पर्व जल का महत्व बताते हैं। इस माह सूर्य पूजा, दान-ध्यान और मंत्र जाप का विशेष महत्व होता है। ज्येष्ठ मास में किए गए शुभ काम विशेष फलदायी होते हैं। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
जूते-चप्पल, कपड़े और छाते का दान भी कर सकते हैं
ज्येष्ठ मास में सूर्य के ताप को शांत करने के लिए ही पशु-पक्षियों के लिए पानी इत्यादि की व्यवस्था की जाती है। लोग मीठा पानी इत्यादि चीजों को सभी में बांटते हैं। जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए। जूते-चप्पल, कपड़े और छाते का दान भी कर सकते हैं। इस महीने जल भरे मटके का दान करना बहुत शुभ होता है।
सत्यनारायण कथा श्रवण करना
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन प्रात:काल समय पर पवित्र नदी या घर पर ही स्नान करने के पश्चात पूजा-पाठ किया जाता है। ब्राह्मण को भोजन कराना, गरीबों को दान करना और सत्यनारायण कथा श्रवण करना मुख्य कार्य होते हैं।