RBI Repo Rate Reduced: केंद्र सरकार की ओर से इनकम टैक्स में राहत दिये जाने के बाद आरबीआई ने मिडिल क्लास को बड़ा तोहफा दिया है। केन्द्रीय बैंक ने पांच साल बाद रेपो दर को घटाया है, जिससे मिडिल क्लास के लिए सस्ते लोन का रास्ता साफ हो गया है। आरबीआई ने पिछले दो साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था।
RBI Repo Rate Reduced: केंद्र सरकार की ओर से इनकम टैक्स में राहत दिये जाने के बाद आरबीआई ने मिडिल क्लास को बड़ा तोहफा दिया है। केन्द्रीय बैंक ने पांच साल बाद रेपो दर को घटाया है, जिससे मिडिल क्लास के लिए सस्ते लोन का रास्ता साफ हो गया है। आरबीआई ने पिछले दो साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था।
मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से नीतिगत दर को 25 आधार अंकों की कटौती कर 6.5% से 6.25% करने का निर्णय लिया।’ उन्होंने बताया, ‘एमपीसी ने कहा कि खाद्य पदार्थों पर अनुकूल दृष्टिकोण तथा निरंतर वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति में कमी आई है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से पुनः निर्णय लिया कि तटस्थ रुख जारी रखा जाए तथा स्पष्ट रूप से लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति के स्थायी संरेखण पर ध्यान केंद्रित किया जाए, साथ ही वृद्धि को समर्थन दिया जाए।’ आरबीआई गवर्नर ने कहा, “स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी, एसडीएफ दर 6.0% होगी, तथा मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर, एमसीएफ दर और बैंक दर 6.5% होगी।” आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि अगले वर्ष वास्तविक जीडीपी वृद्धि लगभग 6.7% रहेगी।”
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘विश्व बैंक के अनुसार, भारत 129.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुमानित प्रवाह के साथ वैश्विक स्तर पर प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना हुआ है – पिछले कैलेंडर वर्ष 2024 तक। इस वर्ष के लिए चालू खाता घाटा संधारणीय स्तर के भीतर रहने की उम्मीद है। इस वर्ष 31 जनवरी तक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630/बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक था। यह हमें 10 महीने से अधिक का आयात कवर प्रदान करता है। कुल मिलाकर भारत का बाहरी क्षेत्र लचीला बना हुआ है क्योंकि प्रमुख संकेतक मजबूत बने हुए हैं।’ मल्होत्रा ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में रिजर्व बैंक की विनिमय दर नीति बहुत ही सुसंगत रही है। हमारा घोषित उद्देश्य बाजार की दक्षता से समझौता किए बिना व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखना है। विदेशी मुद्रा बाजार में हमारा हस्तक्षेप अत्यधिक और विघटनकारी अस्थिरता को कम करने पर केंद्रित है। यह किसी विशिष्ट लक्ष्य को लक्षित नहीं करता है।’
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘बैंकिंग और भुगतान प्रणाली में डिजिटल सुरक्षा बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक कई तरह के उपाय कर रहा है। डिजिटल भुगतान के लिए प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक की शुरुआत एक ऐसा ही उपाय है। अब इसे ऐसे विदेशी व्यापारियों को किए जाने वाले ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय डिजिटल भुगतानों तक विस्तारित करने का प्रस्ताव है, जो इस तरह के प्रमाणीकरण के लिए सक्षम हैं। दूसरा, रिजर्व बैंक भारतीय बैंकों के लिए ‘http://bank.in’ एक्सक्लूसिव इंटरनेट डोमेन लागू करेगा। इस डोमेन नाम के लिए पंजीकरण इस साल अप्रैल से शुरू होगा। इससे बैंकिंग धोखाधड़ी से बचने में मदद मिलेगी। इसके बाद पूरे वित्तीय क्षेत्र के लिए ‘http://fin.in’ डोमेन लागू किया जाएगा।”
गौरतलब है कि आरबीआई ने पिछली बार मई, 2020 में कोविड-19 महामारी के समय रेपो रेट को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था। फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के जोखिमों से निपटने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की थी और यह सिलसिला फरवरी, 2023 में जाकर रुका था।