केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू (Union Parliamentary Affairs Minister Kiren Rijiju) ने शनिवार को उपराष्ट्रपति चुनाव की चल रही प्रक्रिया में हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की भागीदारी पर सवाल उठाया है।
नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू (Union Parliamentary Affairs Minister Kiren Rijiju) ने शनिवार को उपराष्ट्रपति चुनाव की चल रही प्रक्रिया में हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की भागीदारी पर सवाल उठाया है। उन्होंने चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के खिलाफ उनकी टिप्पणियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति का चुनाव एक राजनीतिक मामला है और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की भागीदारी से ऐसा लगता है कि अपने कार्यकाल के दौरान भी उनका वैचारिक झुकाव रहा होगा।
‘इस तरह का अभियान चलाना अनुचित’
रिजीजू ने कहा कि संवैधानिक प्राधिकारियों के खिलाफ इस तरह के अभियान चलाना अनुचित है। विधान सौध में पत्रकारों से बात करते हुए रिजीजू ने कहा कि कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने गृह मंत्री के खिलाफ कुछ लिखा है। यह ठीक नहीं है। उपराष्ट्रपति का चुनाव एक राजनीतिक मामला है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश इसमें हस्तक्षेप क्यों करें?
उन्होंने कहा कि इससे ऐसा लगता है कि न्यायाधीश रहते हुए भी उनकी एक अलग विचारधारा थी। गृह मंत्री के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाना और पत्र लिखना उचित नहीं है। बेंगलुरु में वकीलों के एक सम्मेलन को संबोधित करने के दौरान मंत्री ने कांग्रेस नेताओं पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।
अमित शाह के इस बयान सुदर्शन रेड्डी (Sudarshan Reddy) ने कहा था कि वह नक्सल समर्थक बिल्कुल नहीं हैं और भारत का संविधान ही उनकी विचारधारा है। उनका कहना था कि सलवा जुडूम का फैसला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला था और वह माओवादियों के पक्ष में नहीं था। उनके समर्थन में सामने आकर करीब 18 पूर्व जजों ने अमित शाह (Amit Shah) की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। इनमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व जज कुरियन जोसेफ, मदन बी. लोकुर और जे. चेलमेश्वर जैसे बड़े नाम शामिल थे।