शुक्रवार सुबह डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये (Rupee) में भारी कमजोरी देखने को मिली और यह 24 पैसे टूटकर 90.56 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते (India-US Trade Agreement) को लेकर अनिश्चितता और विदेशी फंड (Foreign Funds) के लगातार बहिर्वाह ने बाजार भावनाओं को कमजोर किया है।
नई दिल्ली। शुक्रवार सुबह डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये (Rupee) में भारी कमजोरी देखने को मिली और यह 24 पैसे टूटकर 90.56 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते (India-US Trade Agreement) को लेकर अनिश्चितता और विदेशी फंड (Foreign Funds) के लगातार बहिर्वाह ने बाजार भावनाओं को कमजोर किया है। रुपया में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि रुपया में गिरावट के बीच शेयर बाजार में तेजी दिखाई दे रही है।
एक्सपर्ट मान रहे हैं कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते (India-US Trade Agreement) को लेकर अनिश्चितता और लगातार विदेशी निवेश की निकासी से रुपया में दबाव बना हुआ है। फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स (Foreign Currency Traders) का कहना है कि कीमती धातुओं की वैश्विक कीमतों में उछाल के बीच आयातकों द्वारा डॉलर की आक्रामक खरीद के कारण रुपये में गिरावट आ रही है।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौता
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता (India-US Trade Agreement अभी अंतिम चरण में पहुंच चुका है, लेकिन फिर भी कोई ठोस चीजें सामने नहीं आ सकी हैं। अभी तक यह भी कंफर्म नहीं हो पा रहा है कि डील कबतक हो पाएगी, जिस कारण भारतीय रुपया दबाव में है। ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता ने निवेशकों से लेकर व्यापारियों के लिए चिंता बढ़ा दी है, जिस कारण निवेशक सतर्क हैं।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
भारतीय रुपया में गिरावट का एक प्रमुख कारण रुपये की गिरावट भी है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से लगातार बिकवाली की जा रही है। विदेशी निवेशकों ने एक दिन पहले गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार से 2,020.94 करोड़ रुपये निकाले हैं। दिसंबर महीने में अब तक वे कुल करीब 2.5 अरब डॉलर (22,500 करोड़ रुपये) की इक्विटी और असेट बेचे जा चुके हैं. यह बिकवाली रुपये पर दबाव बढ़ा रही है।