बिहार की राजनीति में हुए सियासी उल्टफेर ने इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दिया है। केंद्र से एनडीए की सरकार को हटाने के लिए इंडिया गठबंधन बनाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार अब पाला बदल लिए हैं। पिछले डेढ़ सालों से वो एनडीए को सत्ता से बेदखल करने के लिए करीब 28 विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर ला दिए थे लेकिन अचानक उन्होंने इस गठबंधन को झटका देते हुए फिर से भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार बना ली।
मुंबई। बिहार की राजनीति में हुए सियासी उल्टफेर ने इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दिया है। केंद्र से एनडीए की सरकार को हटाने के लिए इंडिया गठबंधन बनाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले नीतीश कुमार अब पाला बदल लिए हैं। पिछले डेढ़ सालों से वो एनडीए को सत्ता से बेदखल करने के लिए करीब 28 विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर ला दिए थे लेकिन अचानक उन्होंने इस गठबंधन को झटका देते हुए फिर से भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार बना ली। हालांकि, नीतीश कुमार के इस फैसले के बाद वो विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं। एक-एक कर विपक्षी दलों के नेता नीतीश कुमार पर हमलावर हो रहे हैं।
इस बीच शिवसेना(UBT) सांसद संजय राउत ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि, वे भूलने की बीमारी से जुझ रहे हैं। देश, राजनीति और लोकतंत्र के लिए ये बहुत बड़ी बीमारी है। ये बीमारी सिर्फ नीतीश कुमार को नहीं हुई है, ये प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी हुई है। ये दोनों नेता कहते थे कि चाहे कुछ हो जाए हम नीतीश कुमार को अपने साथ नहीं लेंगे। वे भी भूल गए।
वहीं, इस मामले में आरजेडी नेता मनोज झा ने भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, यदि पूरे देश में भरोसे की हत्या हुई है तो कहीं न कहीं नीतीश कुमार को भी कष्ट होगा। एक सरकार जो बहुजन चरित्र के साथ समाजवादी सरोकारों पर आगे बढ़ रही थी, आज युवाओं में भी देखिए कितनी हताशा है।