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पूर्व पीएम शेख हसीना का गंभीर आरोप, बोलीं-यूनुस ने आतंकवादियों की मदद से हथियाई बांग्लादेश की सत्ता

भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासी उथल-पुथल चरम पर है। इसी बीच बांग्लादेश (Bangladesh)  की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Former Prime Minister  Sheikh Hasina) ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus)  पर बड़ा आरोप लगाया है। शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने कहा कि यूनुस ने आतंकवादियों की मदद से बांग्लादेश की सत्ता हथियाई है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासी उथल-पुथल चरम पर है। इसी बीच बांग्लादेश (Bangladesh)  की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Former Prime Minister  Sheikh Hasina) ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus)  पर बड़ा आरोप लगाया है। शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने कहा कि यूनुस ने आतंकवादियों की मदद से बांग्लादेश की सत्ता हथियाई है। इनमें से कई आतंकी संगठन ऐसे हैं जिन पर अंतरराष्ट्रीय बैन लगा हुआ है।

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पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Former Prime Minister  Sheikh Hasina) ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा कि यूनुस ने सत्ता हथियाने के लिए प्रतिबंधित लोगों की मदद ली है, जिनसे अब तक हमने बांग्लादेश के नागरिकों की रक्षा की थी। सिर्फ एक आतंकवादी हमले के बाद हमने सख्त कदम उठाए। कई लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन अब बांग्लादेश की जेलें खाली हैं। यूनुस ने ऐसे सभी लोगों को रिहा कर दिया और अब बांग्लादेश में उन आतंकवादियों का ही राज है।

शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने कहा कि हमारे महान बंगाली राष्ट्र का संविधान जिसे हमने लंबे संघर्ष और मुक्ति संग्राम से हासिल किया है। इस उग्रवादी नेता को, जिसने अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा कर लिया है, संविधान को छूने का अधिकार किसने दिया? उनके पास लोगों का जनादेश नहीं है, उनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि यूनुस का मुख्य सलाहकार के पद पर रहने का भी कोई आधार नहीं है और वह अस्तित्व में नहीं है। ऐसे में वह संसद के बिना कानून कैसे बदल सकते हैं, यह अवैध है। उन्होंने देश में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

आज यूनुस अमेरिका को बांग्लादेश बेच रहे हैं, हम एक इंच भी जमीन नहीं दे सकते

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना (Former Prime Minister  Sheikh Hasina)  ने अपने पिता के दौर के याद करते हुए कहा कि जब अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप (St. Martin Island) चाहिए था, तो मेरे पिता शेख मुजीबुर रहमान इसके लिए राजी नहीं हुए। उन्हें अपनी जान देनी पड़ी और यही मेरी नियति थी। क्योंकि मेरे मन में कभी यह ख्याल नहीं आया कि सत्ता में बने रहने के लिए देश को बेच दिया जाए और जिस देश के लोगों ने राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के आह्वान पर हथियार उठाए, युद्ध किया और 30 लाख लोगों को आजाद कराने के लिए अपनी जान दे दी। उस देश की एक इंच जमीन भी किसी को देना किसी की मंशा नहीं हो सकती। लेकिन आज यूनुस अमेरिका को बांग्लादेश बेच रहे हैं।

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शेख हसीना (Sheikh Hasina)ने आगे कहा कि आज कैसा दुर्भाग्य है। ऐसा व्यक्ति सत्ता में आया, ऐसा व्यक्ति जिसे पूरे देश के लोग बेहद प्यार करते हैं, ऐसा व्यक्ति जिसे पूरी दुनिया प्यार करती है, और आज जब वह सत्ता में आया तो उस व्यक्ति के साथ क्या हुआ? बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को हटाने की तैयारी हो रही है। सेना और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग हो रही है। इस पर अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) ने कहा कि अगर उन पर चुनाव कराने या किसी और मुद्दे पर बेवजह दबाव बनाया गया, तो वे जनता के साथ मिलकर जवाबी कार्रवाई करेंगे।

बांग्लादेश में सियासी अस्थिरता

शेख हसीना (Sheikh Hasina) के बांग्लादेश की सत्ता छोड़ने के बाद से वहां अस्थिरता बनी हुई है। देश में शेख हसीना (Sheikh Hasina) की सरकार के खिलाफ हिंसक बगावत हुई थी, जिसके बाद शेख हसीना (Sheikh Hasina) को भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी। 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में बिना किसी खून-खराबा के तख्ता पलट हो गया। शेख हसीना तब से भारत में है।

नौ महीने के भीतर ही अब ये जंग सेना बनाम यूनुस हो गई

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) बतौर चीफ एडवाइजर बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया हैं। लेकिन नौ महीने के भीतर ही अब ये जंग सेना बनाम यूनुस हो गई है। बांग्लादेशी सेना हर हाल में दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दे चुकी है। जबकि यूनुस जनवरी से जून 2026 के बीच चुनाव की बात कह रहे हैं और चुनाव टालने की मांग कर रहे हैं।

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देश के 60 प्रतिशत जनप्रतिनिधियों के बिना कैसी ‘सर्वदलीय बैठक’ : आवामी लीग

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि मुख्य सलाहकार डॉ.मुहम्मद यूनुस ने एक बार फिर देश की राजनीति में नई बहस पैदा की है। उनके आह्वान पर हाल ही में हुई तथाकथित ‘सर्वदलीय बैठक’ पर आम जनता के बीच उठाए गए सवाल जहां 14 पार्टियों का प्रतिनिधित्व करने वाले देश के 60 फीसदी राजनीतिक गठबंधन को बाहर कर दिया गया था, वह सर्वदलीय बैठक कैसे हो सकती है?

हालांकि राष्ट्रीय चुनाव की पूर्व संध्या में सार्वजनिक एकता और राजनीतिक संवाद आवश्यक है, लेकिन अवामी लीग, जसद, वर्कर्स पार्टी, राष्ट्रीय पार्टी प्रभृति पार्टियों की स्वतंत्रता और लंबे समय से चले आ रहे राज्य की अनुपस्थिति गंभीर चिंता का विषय है। 14 दल गठबंधन एक शक्तिशाली राजनीतिक मंच है जिसमें देश का 60 प्रतिशत समर्थन शामिल है। फिर भी इस बड़े हिस्से को अपंजीकृत और नामचीन पार्टी से मिलकर ‘ऑल पार्टी’ के रूप में बढ़ावा देना और कुछ नहीं बल्कि राष्ट्र को भ्रमित करने का प्रयास है।

विश्लेषकों का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी जैसे स्वतंत्रता विरोधी पार्टी के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने और अपरिचित समूहों के माध्यम से ‘सर्वदलीय बैठक’ आयोजित करने के पीछे एक सुनियोजित एजेंडा है। यह आजादी के बाद बांग्लादेश को फिर से अंधेरे भविष्य की ओर धकेलने का प्रयास है। सवाल उठता है कि देश की मुख्यधारा की राजनीति, स्वतंत्रता चेतना और लोगों के मतदान के अधिकार की रक्षा करने वाली पार्टियों में कोई उपस्थिति नहीं है, यह राष्ट्रीय एकता का प्रतिबिंब कैसे हो सकता है? सार्वजनिक धारणा, यह एक तरह का नाटक है, जिसके माध्यम से अंतरराष्ट्रीय महल को भ्रमित करके एक अनैतिक सरकारी संरचना को मान्य करने का प्रयास है।

ऐसे में देश के जागरूक लोगों, मीडिया और बुद्धिजीवियों की अब महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि ‘सर्वदलीय बैठक’ नामक आतंकवादी राजनीति के खिलाफ हिंसा बढ़ाएं और सही राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए केंद्र में उचित राजनीतिक शक्ति लाकर संवाद सुनिश्चित करें।

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