उत्तराखंड (Uttarakhand) के ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज (Shankaracharya Avimukeshwarananda Saraswati Ji Maharaj of Jyotirmath) के अधिकारिक एक्स पोस्ट पर लिखा कि धर्म से जुड़ा है कुम्भ महापर्व, इसे राजनीति से न जोड़ें।
नई दिल्ली। उत्तराखंड (Uttarakhand) के ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज (Shankaracharya Avimukeshwarananda Saraswati Ji Maharaj of Jyotirmath) के अधिकारिक एक्स पोस्ट पर लिखा कि धर्म से जुड़ा है कुम्भ महापर्व, इसे राजनीति से न जोड़ें।
धर्म से जुड़ा है कुम्भ महापर्व, इसे राजनीति से न जोड़ें।
-परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज— 1008.Guru (@jyotirmathah) March 1, 2025
संगम नगरी प्रयागराज में 45 दिनों तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक समागम-महाकुंभ (Maha Kumbh)
को लेकर हाल ही में ज्योतिष पीठ (Jyotish Peeth) के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati) महाराज ने महाकुंभ (Maha Kumbh) को लेकर बड़े सवाल उठाए थे। उन्होंने दावा किया कि असली महाकुंभ तो पहले ही समाप्त हो चुका था और अभी तक जो चल रहा था वो सरकारी महाकुंभ (Sarkari Maha Kumbh) था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) इससे पहले भी महाकुंभ (Maha Kumbh) और इसकी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर चुके हैं।
VIDEO-ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती,बोले-असली महाकुंभ माघ में ही समाप्त, अब तक तो सरकारी चल रहा…#WATCH #MahaKumbh2025 pic.twitter.com/P4c44a56cD
— santosh singh (@SantoshGaharwar) February 27, 2025
‘अभी तक जो चल रहा था वो सरकारी कुंभ था’
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati) ने कहा, कि महाकुंभ का समापन पूर्णिमा के साथ ही हो गया था, क्योंकि असली कुंभ माघ महीने में होता है। सारे कल्पवासी वहां से माघ महीने के पूर्णिमा को ही जा चुके थे। इसके बाद जो चल रहा है, वह सरकार की ओर से आयोजित अलग कुंभ है, जिसका पारंपरिक कुंभ जितना आध्यात्मिक महत्व नहीं है।
गोहत्या को रोकने को लेकर बोले अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati) ने देशभर में गोहत्या को रोकने को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा,कि 17 मार्च को गोमाता के लिए हमने सरकार को समय दिया है कि देश में जितनी पार्टियां और सरकारें हैं वह सभी मिलकर बताएं कि आखिरकार वह क्या चाहती हैं? गोहत्या रोकना चाहती है या फिर जैसे आजादी के बाद से गोहत्याओं को जारी रखा गया है वैसे ही आगे भी जारी रखना चाहती हैं। हमने 17 मार्च को अंतिम निर्णय करने के लिए उन्हें समय दिया है। हम 17 मार्च की शाम 5 बजे तक सरकार और सभी पार्टियों (पक्ष-विपक्ष) की नीति (गौ हत्या को लेकर) का इंतजार करेंगे।