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Shiv Sena in Saamana : शरद पवार बोले- ‘मैं चार बार सीएम रहा, लेकिन किसी राज्यपाल ने कभी नहीं खिलाया पेड़ा ‘

ShivSena in Saamana: महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो चुका है। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री तो देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। सोमवार को विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया है। इसी बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर वार किया है। सामना में शिवसेना ने एनसीपी चीफ शरद पवार के हवाले से लिखा है कि वह कहते हैं कि 'मैं चार बार मुख्यमंत्री रहा, लेकिन राज्यपाल ने कभी पेड़ा नहीं खिलाया।'

By संतोष सिंह 
Updated Date

ShivSena in Saamana: महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो चुका है। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री तो देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। सोमवार को विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया है। इसी बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर वार किया है। सामना में शिवसेना ने एनसीपी चीफ शरद पवार के हवाले से लिखा है कि वह कहते हैं कि ‘मैं चार बार मुख्यमंत्री रहा, लेकिन राज्यपाल ने कभी पेड़ा नहीं खिलाया।’

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उद्धव ठाकरे जब मुख्यमंत्री बने थे, तब राजभवन स्थित पेड़े की दुकान हो गई थी बंद

सामना में शिवसेना ने लिखा, महाराष्ट्र में सरकार बदलने से हमारे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सबसे ज्यादा खुश हैं। अंग्रेजों ने जब क्रांतिकारी भगत सिंह को फांसी दी थी, तब वे खुश थे। उन्हीं अंग्रेजों की तरह राज्यपाल भी खुश हैं। आगे लिखा है, उद्धव ठाकरे जब मुख्यमंत्री बने थे, तब राज्यपाल खुश नहीं थे या फिर राजभवन स्थित पेड़े की दुकान बंद हो गई थी।

जानें क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, सियासी ड्रामे के बीच बागी विधायक एकनाथ शिंदे और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस पिछले दिनों राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान दोनों की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश किया गया था, जिसके बाद राज्यपाल ने दोनों नेताओं को मिठाई खिलाई। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इसके बाद शरद पवार का बयान सामने आया कि मैं चार बार मुख्यमंत्री रह चुका हूं, लेकिन राज्यपाल ने एक बार भी पेड़ा नहीं खिलाया।

भगवाधारी विधायक जुगनू भी नहीं

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शिवसेना ने सामना में लिखा, शिवसेनाप्रमुख का स्मारक चेतना और ऊर्जा का सूर्य है। ये भगवाधारी विधायक उसके आगे जुगनू भी नहीं हैं। शिवसेना में रहने के दौरान तेज, रुआब, हिम्मत, सम्मान व स्वाभिमान था। ‘कौन आया, रे कौन आया, शिवसेना का बाघ आया’ ऐसी गर्जना की जाती थी, लेकिन वैसा कोई दृश्य अब देखने को नहीं मिला। विधायकों के चेहरे उतरे हुए थे, उनका पाप उनके मन को कचोट रहा था, ऐसा उनके चेहरों से साफ प्रतीत हो रहा था।

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