प्रदेश में अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव रैंक के कुल 49 अफसर, इनमें से 17 मप्र से बाहर हैं। इस कारण अफसरों को अतिरिक्त प्रभार देना मजबूरी हो गया है। गौरतलब है कि मप्र आइएएस कैडर में 459 पद स्वीकृत हैं।
भोपाल। प्रदेश में अफसरों का टोटा बना हुआ है। इसके पीछे कारण या तो कई अफसर केन्द्र सरकार में प्रति नियुक्ति पर है या फिर अफसरों के पद खाली पड़े हुए है। दरअसल, प्रदेश में अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव रैंक के कुल 49 अफसर, इनमें से 17 मप्र से बाहर हैं। इस कारण अफसरों को अतिरिक्त प्रभार देना मजबूरी हो गया है।
391 पद भरे हैं, जबकि 68 खाली हैं
गौरतलब है कि मप्र आइएएस कैडर में 459 पद स्वीकृत हैं। इनमें 391 पद भरे हैं, जबकि 68 खाली हैं। केंद्र ने अगस्त 2022 में मप्र आईएएस कैडर की समीक्षा की। तब आईएएस कैडर संख्या 459 थी। उसके बाद से संख्या नहीं बढ़ी। जानकारी के अनुसार प्रदेश में इन दिनों अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव रैंक के अधिकारियों की कमी हो गई है। मुख्य सचिव को छोडक़र एमपी कैडर के अपर मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव रैंक के कुल 49 अधिकारी हैं।
इनमें से वर्तमान में 15 अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में और एक यूएसए में पदस्थ है, जबकि एक अधिकारी स्टडी लीव पर है। यही वजह है कि एसीएस और पीएस रैंक के अधिकतर अफसरों के पास अतिरिक्त विभागों का प्रभार है। पिछले तीन-चार वर्षों में बड़ी संख्या में मप्र कैडर के प्रमुख सचिव व सचिव रैंक के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए हैं। ऐसे ही सीनियर आईएएस अधिकारी लगातार रिटायर्ड हो रहे है। इसके अलावा एसीएस रैंक के कुछ बैच में अधिकारियों की संख्या काफी कम है, जिससे अफसरों की कमी हो गई है। ऐसे में सरकार को न चाहते हुए भी अफसरों को एक से ज्यादा विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपनी पड़ रही है। चूंकि अधिकारी अतिरिक्त प्रभार वाले विभागों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं, वे सिर्फ रुटीन की फाइलें आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे इन विभागों में कामकाज प्रभावित हो रहा है।