हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भगवान शिव और देवी पार्वती के छठे पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
Skanda Sashti Vrat 2024 : हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भगवान शिव और देवी पार्वती के छठे पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की विधि-विधान से पूजा की जाती है। कुछ क्षेत्रों में इस तिथि को स्कन्द षष्ठी के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद , सुब्रह्मण्य , शनमुख और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है। ये युद्ध के हिंदू देवता हैं। कार्तिकेय प्राचीन काल से ही भारतीय उपमहाद्वीप में एक महत्वपूर्ण देवता रहे हैं।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि, 11 जून दिन मंगलवार को शाम 5:27 बजे शुरू होगी और 12 जून दिन बुधवार को शाम 7:17 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी का पर्व 12 जून को ही मनाया जाएगा।
भगवान स्कंद की विधि-विधान से पूजा
इस दिन शिवालय जाकर भगवान कार्तिकेय का विधिवत पूजन करें। गौघृत में साबुत धनिया के बीज डालकर दीप करें, तगर से धूप करें, पीले कनेर के फूल चढ़ाएं, सिंदूर चढ़ाएं, मौसमी का फलाहार चढ़ाएं व मिश्री का भोग लगाएं व इलायची व मिश्री में बने मिष्ठान का भोग लगाएं। इस विशेष मंत्र को 108 बार जपें।