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कारगिल में सेना ने सी-17 ग्लोबमास्टर उतार कर बढ़ाई चीन-पाकिस्तान की टेंशन,भारतीय वायुसेना के लिए है बड़ा गेमचेंजर

भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच लगातार तनाव बना रहता है। वहीं जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)  और लद्दाख (Ladakh) को लेकर पाक और चीन सदाबहार दोस्त बने रहते हैं।

By संतोष सिंह 
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कारगिल। भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच लगातार तनाव बना रहता है। वहीं जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)  और लद्दाख (Ladakh) को लेकर पाक और चीन सदाबहार दोस्त बने रहते हैं। ऐसे में भारत की चुनौतियों से मुकाबला करते हुए बुधवार को सेना (Army) ने कारगिल में सी-17 ग्लोबमास्टर (C-17 Globemaster)  विमान को उतारकर अपने दुश्मनों के खिलाफ बड़ा दांव चल दिया है। जो कि बड़ा गेमचेंजर साबित (Big Game Changer) हो सकता है।

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बताते चलें कि सीमा को सुरक्षित रखने के लिए कनेक्टिविटी बहुत जरूरी होती है। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) और लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में अकसर कनेक्टिविटी खत्म हो जाती है। पाकिस्तान 1999 में करगिल पर कब्जा करने की कोशिश कर भी चुका है। ऐसे में भारतीय सेना ने भी अपनी तैयारियों तेज कर दी हैं। जल्द ही लद्दाख को जोड़ने वाली ऑल वेदर सड़क और जोजिला टनल भी शुरू हो जाएगा।

जानें क्या हैं सी-17 लैंड करने के मायने?

कारगिल में सी-17 ग्लोबमास्टर (C-17 Globemaster)  की लैंडिंग के मायने बहुत बड़े हैं। दरअसल इससे सेना का मूवमेंट बढ़ जाएगा। इसके अलावा लॉजिस्टिक सपोर्ट की क्षमता भी चार गुना बढ़ेगी। इस एयरफील्ड से अब तक सी-130 जे सुपर हल्क्युलिस और एएन-32 का संचालन किया जाता था। इनकी अधिकतम क्षणता 6 से सात टन ही थी। वहीं सी-17ग्लोबमास्टर अकेले ही 60 से 70 टन का भार उठा सकता है। इसके अलावा इसकी मदद से 150 से ज्यादा सैनिक हथियारों और उपकरणों के साथ तुरंत फ्रंट पर तैनात हो सकते हैं। पाकिस्तान और चीन दोनों से जंग की स्थिति में कारगिल तक यह पहुंच काम आएगी। कारगिल में सेना को उतारकर जल्दी चीन की सीमा पर भी भेजा जा सकता है। पाकिस्तान इस एयरफील्ड से भी इतना चिढ़ा रहता है कि 1999 के युद्ध के दौरान उसने इसे निशाना बनाया था। यह एयरफील्ड एलओसी से बेहद करीब है।

सी-17 ग्लोबमास्टर (C-17 Globemaster) ऊंचाई वाले इलाकों में और कम तापमान वाले इलाकों के हिसाब से भी तैयार रहता है। सूत्रों का कहना है कि वायुसेना को लगता था कि लेह और श्रीनगर के बीच एक गैप है। अगर कारगिल में ग्लोबमास्टर की लैंडिंग होती है तो यह खाली स्थान भर जाएगा और सेना को सप्लाई और तैनाती दोनों में मदद मिलेगा। कारगिल में कोई पार्किंग बे नहीं है। ऐसे में एक समय में एक ही सी-17 (C-17) का संचालन हो सकता है। 2020 में गलवान घाटी (Galwan Valley) की झड़प के बाद भी भारतीय सेना ने चीन को ठीक करने के लिए ट्रांसपोर्ट विमानों का इस्तेमाल किया था। चीन जिस तरह से सीमा तक पहुंच मजबूत करने के लिए ताकत झोंकता है, उस लिहाज से भारत के लिए भी यह बेहद जरूरी और अहम कदम है।

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