MNREGA: केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन बड़े और महत्वपूर्ण फैसलों को मंजूरी मिलने की संभावना है। इनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) का नाम बदला जा सकता है। इस योजना का नया नाम 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना' हो सकता है। इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा विधेयक और उच्च शिक्षा विधेयक को भी कैबिनेट की मंजूरी मिलने सकती है।
MNREGA: केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन बड़े और महत्वपूर्ण फैसलों को मंजूरी मिलने की संभावना है। इनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) का नाम बदला जा सकता है। इस योजना का नया नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ हो सकता है। इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा विधेयक और उच्च शिक्षा विधेयक को भी कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है।
मनरेगा (MNREGA) की शुरुआत मनमोहन सिंह की यूपीए (UPA) सरकार के दौरान हुई, यह अधिनियम 23 अगस्त 2005 को पारित हुआ और फरवरी 2006 में लागू किया गया था। जिसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था और वामपंथी दलों के समर्थन से यह एक बड़ा सामाजिक कल्याण कानून बना, जो ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देता है। इसे शुरू में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005 कहा जाता था।
मनरेगा तहत 2022-23 तक, 15.4 करोड़ लोग सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। आर्थिक सिक्योरिटी देने और ग्रामीण संपत्ति बनाने के अलावा, MNREGA पर्यावरण की रक्षा करने, ग्रामीण महिलाओं को मजबूत बनाने, गांव-शहरी माइग्रेशन को कम करने और सामाजिक बराबरी को बढ़ावा देने समेत अन्य विकास कार्यों में मददगार रहा है।