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फर्क साफ : कर्ज का दर्द बना अडानी की साख पर बड़ा सवाल, यूं ही नहीं कोई बनता मुकेश अंबानी

दुनिया के अरबपतियों की सूची में नवें स्थान पर विराजमान मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी के सालाना रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी पर 31 मार्च 2020 तक करीब 3, 36 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था, लेकिन कंपनी ने कोरोना काल के दौरान जियो की हिस्सेदारी गूगल (Google) , फेसबुक (Facebook) समेत कई कंपनियों को बेचकर कर्ज का बोझ कम कर दिया।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। दुनिया के अरबपतियों की सूची में नवें स्थान पर विराजमान मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी के सालाना रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी पर 31 मार्च 2020 तक करीब 3, 36 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था, लेकिन कंपनी ने कोरोना काल के दौरान जियो की हिस्सेदारी गूगल (Google) , फेसबुक (Facebook) समेत कई कंपनियों को बेचकर कर्ज का बोझ कम कर दिया।

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भारत के कारोबारी जगत में मुकेश धीरुभाई अंबानी (Mukesh Dhirubhai Ambani) और दूसरे गौतम अडानी (Gautam Adani)  ऐसे दो नाम हैं जिनके बारे में हर खासोआम जानना चाहता है। एक तरफ रिलायंस के मुखिया मुकेश अंबानी जहां अपनी विजन के लिए जाने जाते हैं तो वहीं दूसरी और गौतम अडानी (Gautam Adani)  को एग्रेसिव बिजनेसमैन के तौर पर जाना जाता है। ये एग्रेसिव खेल का ही नतीजा है कि गौतम अडानी (Gautam Adani) इतनी तेजी से आगे बढ़े हैं। उनका पूरी दुनिया में डंका बजता था, लेकिन कर्ज के दर्द ने आज उनकी कंपनियों की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani)  की बात करें तो साल 1981 में धीरुभाई के बड़े बेटे ने अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाना शुरु किया। देखते ही देखते रिलायंस आज देश की सबसे वैल्युएबल कंपनी बन गई है तो क्या इसके लिए मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani)  ने कर्ज नहीं लिया? जवाब है बिल्कुल लिया और भारी भरकम लिया, लेकिन अडानी और अंबानी को जो एक चीज अलग करती है वो है उनकी अलग रणनीति।

अंबानी की ऐसी है रणनीति

मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani)  को यह अच्छी तरह पता है कि कर्ज के बोझ का असर कंपनी पर लांग टर्म में पड़ सकता है। शायद इसी सोच की वजह से मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani)  के कोरोना काल के दौरान ही कंपनी को कर्जमुक्त करने का फैसला कर लिया था।

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कंपनी पर था 3.6 लाख करोड़ का कर्ज

मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani)  की कंपनी के सालाना रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी पर 31 मार्च 2020 तक करीब 3, 36 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था, लेकिन कंपनी ने कोरोना के दौरान जियो की हिस्सेदारी गूगल, फेसबुक समेत कई कंपनियों को बेचकर कर्ज का बोझ कम कर दिया। इसके बाद अपने सालाना एजीएम (AGM)में कंपनी ने कहा कि वो कर्जमुक्त हो गई है। हालांकि टेक्निकल तौर पर कंपनी कर्जमुक्त नहीं हुई, लेकिन जो हिस्सेदारी बेची गई उसके बदले कंपनी के पास उतने का ऐसेट खड़ा हो गया।

कमाई से 10 गुना ज्यादा कर्ज है  गौतम अडानी  पर 

वहीं बात अडानी ग्रुप (Adani Group) की की जाए तो कंपनी पर कमाई से 10 गुना ज्यादा कर्ज है। मतलब कंपनी 10 रुपये कमा रही है तो कंपनी पर कर्ज 100 रुपये का है। यही वजह रही कि हिंडनबर्ग के तूफान में कंपनी के शेयर जैसे ही गिरने लगे कर्जदार सामने आकर खड़े होने लगे और आनन-फानन में गौतम अडानी (Gautam Adani)  को एडवांस रकम लौटाने की घोषणा करनी पड़ी। अब कर्ज के दर्द से निकलने के लिए अडानी ग्रुप (Adani Group)  को आगे भी मशक्कत करनी पड़ेगी। जबकि मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani)  ने अपने विजन से कर्ज के दर्द को पहले ही भाप लिया था।

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