आप ने कभी ऐसा मंदिर नहीं देखा होगा जो साल में केवल एक बार ही भक्तों के दर्शन के लिये खोले जाते हैं। तो आज हम आपको बतायेंगे इस मंदिर के बारे में जानकारी के लिये बता दें कि नगों के राजा तक्षक से है उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर का बहुत ही गहरा रिश्ता ,साल भर में एक बार खुलते हैं कपाट। मध्यप्रदेश उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थित
उज्जैन। आप ने कभी ऐसा मंदिर नहीं देखा होगा जो साल में केवल एक बार ही भक्तों के दर्शन के लिये खोले जाते हैं। तो आज हम आपको बतायेंगे इस मंदिर के बारे में जानकारी के लिये बता दें कि नंगों के राजा तक्षक से है उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर का बहुत ही गहरा रिश्ता ,साल भर में एक बार खुलते हैं कपाट। मध्यप्रदेश उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए एक बार खोले जाते हैं। साल भर नागराज का मंदिर एकांतवास की वजह से बंद रहता है।

नाग पंचमी के दिन शिव मंदिरों में विशेष तौर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है और नागदेवता की पूजन अर्चन की जाती है। उज्जैन में यह त्यौहार बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन भक्तों को साल भर में एक बार खुलने वाले नागचन्द्रेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने को मिलते हैं। इस बार 29 जुलाई को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाने वाला है। भक्तों के लिए सोमवार रात 12 बजे से मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इस मंदिर का इतना अधिक महत्व है की दर्शन करने के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। साल भर में एक बार होने वाले इस दुर्लभ दर्शन को देखने के लिए भक्त रातभर लाइन में लगकर इंतजार करते हैं।

बतादें कि यह मंदिर 28-29 जुलाई की मध्य रात्रि 12 बजे 24 घंटे के लिए खोला जाएंगा। वहीं एक दिन में तकरीबन 10 लाख श्रद्धालुओं के दर्शन करने की संभावना जताई जा रही है। मंदिर समिति द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं और कहा जा रहा है कि हर श्रद्धालुओं को 40 मिनट में दर्शन हो जाएंगे। नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण परमार राजा भोज ने करवाया था। यह 11वीं शताब्दी की बात है जब इस अद्भुत मंदिर को निर्मित किया गया। 1732 में राणोजी सिंधिया ने इसका जीर्णोद्धार भी किया। यह मंदिर केवल धार्मिक लिहाज से ही नहीं बल्कि शिल्प कला के अनोखे उदाहरण के तौर पर भी पहचाना जाता है।

बन्द रहने का पौराणिक कारण
सोचने वाली बात यह है कि आखिर क्यों बंद रहता है यह मंदिर। दरअसल, इसके पीछे पौराणिक मान्यता है। इस मंदिर के नाम से ही जाहिर है कि यह नागचंद्रेश्वर यानी नागों के देवता से जुड़ा मंदिर है। नागों का भगवान शिव से गहरा जुड़ाव धार्मिक ग्रंथो में भी देखने को मिला है। इन ग्रंथो में सर्पों का राजा तक्षक को बताया गया है। वह भोलेनाथ के अनन्य भक्त थे और प्रभु को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने कठोर तप किया था। तप से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। इसी के बाद से नाग तक्षक ने भोलेनाथ के सानिध्य में रहना शुरू किया। वह महाकाल वन में वास किया करते थे लेकिन उनकी इच्छा थी कि उनके एकांत में किसी भी तरह की परेशानी उत्पन्न ना हो ताकि वह प्रभु की भक्ति अच्छी तरह से कर सकें। यही कारण है कि नागचंद्रेश्वर का यह मंदिर केवल एक दिन भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाता है।