उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के ईमानदार प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की अधिकारियों पर 'दागदार फैसले' की चर्चाओं ने अब जोर पकड़ लिया है। पर्दाफाश न्यूज ने इनके कुछ ऐसे फैसलों के बारे में बीते दिन जानकारी दी थी, जो ईमानदार प्रमुख सचिव पर ही सवाल खड़े कर दिए थे।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के ईमानदार प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की अधिकारियों पर ‘दागदार फैसले’ की चर्चाओं ने अब जोर पकड़ लिया है। पर्दाफाश न्यूज ने इनके कुछ ऐसे फैसलों के बारे में बीते दिन जानकारी दी थी, जो ईमानदार प्रमुख सचिव पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। अब इसी कड़ी में कुछ और अफसरों के बारे में जानकारी हाथ लगी है, जिनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है, जिसके बाद भी वो अपने पद पर तैनात हैं। यही नहीं उनके खिलाफ जांच में आरोप सही भी पाए गए हैं।
दरअसल, जौनपुर की मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. जीएसबी लक्ष्मी पर भदोही में तैनाती के दौरान विभिन्न विकास खंडों में जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को कई बार अनियमित भुगतान की अनियमितता के चलते विभागीय जांच संस्थित की गयी थी। हलांकि, विभागीय जांच के अधीन आने वाला कोई भी अधिकारी अपने पद पर जांच के दौरान नहीं रह सकता है और इसका शासनादेश भी है। इसके बाद भी डॉ. जीएसबी लक्ष्मी मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर बनी रहीं। यही नहीं उन्होंने जांच में कोई सहयोग भी नहीं किया।
जांच में पाया गया कि, विभिन्न विकास खण्ड में जननी सुरक्षा के अन्तर्गत लाभार्थियों को कई बार अनियमित भुगतान की जांच हेतु अभिलेख जांच टीम को उपलब्ध न कराने, जांच में सहयोग न करने, उच्चादेशों की अवेहलना करने, अधीनस्थों पर प्रभावी नियंत्रण न होने एवं शासकीय कर्तव्यों एवं पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने का द्योतक/परिचायक है, जिस हेतु आप दोषी हैं। इनको पद से हटाने की बजाए 2021 में मुख्य चिकित्साधिकारी भदोही (संतरबी दासनगर) से हटाकर मुख्य चिकित्साधिकारी जौनपुर बना दिया गया है, जिसके बाद से वहीं पर मौजूदा समय भी तैनात हैं। आखिरी क्या कारण है कि, इतने गंभीर आरोप लगने के बाद भी ये अपने पद पर अभी भी बनी हुई हैं।
इन्हीं के कार्याकाल में जनपद गोंडा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के तौर पर डॉ. रश्मि वर्मा की तैनाती हुई थी। 28 मार्च 2024 को इनके ऊपर दवाओं की खरीद और टेंडर में अनियमितता के चलते विभागीय जांच संस्थित की गयी थी। विभागीय जांच के अधीन आने वाला कोई भी अधिकारी अपने पद पर जांच के दौरान नहीं रह सकता है और इसका शासनादेश भी है। लेकिन आखिर क्या कारण है कि, विभागीय जांच के बावजूद डॉ. रश्मि वर्मा इतने दिनों से गोंडा में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर बनी रहीं। डॉ. रश्मि वर्मा के कार्यकाल में हुए खरीद फरोख्त/टेंडर में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार के चलते दवा व्यवसायी और स्वास्थ्य माफिया मुकेश श्रीवास्वत के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा के जांच की संस्तुति हो चुकी है। इसके बाद भी रश्मि वर्मा अभी भी अपने पद पर बनी हुई हैं। आखिर क्या कारण है कि ईमानदार प्रमुख सचिव के रहते इन दागदार अधिकारियों की तैनाती अभी भी प्रशासनिक और महत्वपूर्ण पदों पर बनी हुई है।