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IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार जी की आत्महत्या उस गहराते सामाजिक ज़हर का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, हरियाणा के IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार जी की आत्महत्या उस गहराते सामाजिक ज़हर का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा है। जब एक IPS अधिकारी को उसकी जाति के कारण अपमान और अत्याचार सहने पड़ें-तो सोचिए, आम दलित नागरिक किन हालात में जी रहा होगा।

By शिव मौर्या 
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नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की मौत और रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, BJP-RSS की नफ़रत और मनुवादी सोच ने समाज को विष से भर दिया है। दलित, आदिवासी, पिछड़े और मुस्लिम आज न्याय की उम्मीद खोते जा रहे हैं।

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राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, हरियाणा के IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार जी की आत्महत्या उस गहराते सामाजिक ज़हर का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा है। जब एक IPS अधिकारी को उसकी जाति के कारण अपमान और अत्याचार सहने पड़ें-तो सोचिए, आम दलित नागरिक किन हालात में जी रहा होगा।

उन्होंने आगे कहा, रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का अपमान और अब पूरन जी की मृत्यु-ये घटनाएं बताती हैं कि वंचित वर्ग के ख़िलाफ़ अन्याय अपनी चरम सीमा पर है। BJP-RSS की नफ़रत और मनुवादी सोच ने समाज को विष से भर दिया है। दलित, आदिवासी, पिछड़े और मुस्लिम आज न्याय की उम्मीद खोते जा रहे हैं। ये संघर्ष केवल पूरन जी का नहीं-हर उस भारतीय का है जो संविधान, समानता और न्याय में विश्वास रखता है।

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, भाजपा का मनुवादी तंत्र इस देश के SC, ST, OBC और कमज़ोर वर्गों के लिए एक अभिशाप बन चुका है। हरियाणा के वरिष्ठ दलित IPS अधिकारी, ADGP, वाई. पूरन कुमार की मजबूरन आत्महत्या की खबर न केवल स्तब्ध करने वाली है, बल्कि सामाजिक अन्याय, अमानवीयता और संवेदनहीनता का भयावह प्रमाण है। परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। पिछले 11 वर्षों में इस देश में भाजपा ने मनुवादी मानसिकता इतनी गहरी कर दी है कि ADGP रैंक के दलित अधिकारी को भी न्याय और सुनवाई नहीं मिलती है।

जब सुप्रीम कोर्ट में सरेआम मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर हमला हो सकता है और उसे भाजपा का Ecosystem जातिवाद और धर्म का हवाला देकर defend कर सकता है, तो हमें ये समझ लेना चाहिए कि “सबका साथ” का नारा एक भद्दा मज़ाक़ था। हज़ारों वर्षों से मनुवादी मानसिकता की शोषण करने की आदत इतनी जल्दी तो नहीं बदल सकती। तभी हरिओम वाल्मिकी जैसे निहत्थे दलित की मॉब लिंचिंग से नृशंस हत्या हो जाती है और प्रधानमंत्री मोदी जी निंदा के दो शब्द भी नहीं बोलते!

यह सिर्फ कुछ व्यक्तियों की त्रासदी नहीं—यह उस भाजपा और संघ द्वारा पोषित अन्यायपूर्ण व्यवस्था का आईना है, जो दलित, आदिवासी, पिछड़े व अल्पसंख्यक वर्गों के आत्मसम्मान को बार-बार कुचलती रही है। ये संविधान और लोकतंत्र के लिए घातक है।

 

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