जुलाई 2015 में अमेरिका के एक अस्पताल में किए गए अध्ययन में पाया गया कि लगभग 62 प्रतिशत बार साबुन दूषित थे। साबुन पर छिपे बैक्टीरिया संभावित रुप से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति में फैल सकते है।
आमतौर पर भारतीय परिवारों में अक्सर देखा जाता है कि एक ही साबुन से पूरा परिवार नहाता है। भले ही परिवार के सदस्यों में से किसी भी सदस्य को भी बीमारी हो या नहीं फिर भी सभी एक ही साबुन का यूज करते है।
अगर हेल्थ एक्सपर्ट की माने तो जिस साबुन से हम नहाते है उस पर ई.कोली, साल्मोनेला और शिगेला जैसे बैटक्टीरिया पनपते है। एक रिसर्च के अनुसार साबुन में दो से पांच अलग अलग प्रकार के कीटाणु होते है।
इसके अलावा जुलाई 2015 में अमेरिका के एक अस्पताल में किए गए अध्ययन में पाया गया कि लगभग 62 प्रतिशत बार साबुन दूषित थे। साबुन पर छिपे बैक्टीरिया संभावित रुप से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति में फैल सकते है।
यदि हेल्थ एक्सपर्ट की मानें को साबुन पर पनप रहे कीटाणु में ई कोली, साल्मोनेला और शिगेला बैक्टीरिया के साथ ही नोरोवायरल और रोटावायरल और स्टैफ जैसे वायरल शामिल हो सकते है। ये बैक्टीरिया और वायरस शरीर में लगे घाव या त्वचा पर खरोंच लगने से फैल सकते है।
शोधकर्ता ने पाया कि भले ही साबुन पर बैक्टीरिया पनपते हो, लेकिन किसी एक व्यक्ति के शरीर से दूसरे व्यक्ति के शरीर पर किसी भी प्रकार का रोग नहीं फैलाते है। किसी व्यक्ति के साथ एक शोप शेयर करने से कोई बड़ा खतरा नहीं होता।
हालंकि यदि आप बैक्टीरिया से खुद को बचाने के लिए एक ही साबुन को शेयर नहीं करना चाहते तो आप साबुन की जगह बॉडी वॉश का इस्तेमाल कर सकते है। दूसरी उपाय अगर आप एक साबुन के इस्तेमाल से किसी दुसरे को बैक्टीरिया न पहुंचे इसके लिए साबुन को इस्तेमाल करने के बाद उसे धो कर रखे। गीले साबुन में बैक्टीरिया पनपने का खतरा अधिक होता है।