सरकारी आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति जनवरी 2022 में घटकर 12.96 प्रतिशत हो गई, जो दिसंबर 2021 में 13.56 प्रतिशत थी।
सोमवार को सरकारी आंकड़ों से पता चला कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति जनवरी 2022 में घटकर 12.96 प्रतिशत हो गई, जो दिसंबर 2021 में 13.56 प्रतिशत थी।
दिसंबर, 2021 में थोक मुद्रास्फीति 13.56 प्रतिशत और जनवरी, 2021 में 2.51 प्रतिशत पर थी। थोक मुद्रास्फीति अप्रैल, 2021 से लगातार दसवें माह 10 प्रतिशत से ऊंची बनी हुई है।
2022 में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 10.33 प्रतिशत पर पहुंच गई। महंगाई की मार झेल रही देश की आम जनता को इस बार थोड़ी राहत मिली है। दरअसल, थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2021 में घट गई है। यह कम होकर 13.56 प्रतिशत पर आ गई है, जो इससे पिछले महीने नवंबर 2021 में 14.23 प्रतिशत उच्च स्तर पर थी। गौरतलब है कि यह थोक महंगाई का नवंबर का उच्च स्तर बीते 12 साल में सबसे अधिक था।
मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर गौर करें तो विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर में कम होकर 10.62 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले महीने 11.92 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली की कीमतों में वृद्धि की दर दिसंबर में 32.30 प्रतिशत रही, जबकि नवंबर में यह 39.81 प्रतिशत थी। हालांकि, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर में महीने-दर-महीने आधार पर 9.56 प्रतिशत बढ़ी, जो नवंबर में 4.88 प्रतिशत पर थी। सब्जियों की कीमतों में वृद्धि दर बढ़कर 31.56 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने 3.91 प्रतिशत थी।
खुदरा महंगाई के स्तर पर राहत नहीं बता दें कि देश के आम लोगों को हाल में तगड़ा झटका तब लगा था जब दिसंबर के खुदरा महंगाई के आंकड़े पेश किए गए थे। गौरतलब है कि खुदरा मुद्रास्फीति दर नवंबर महीने में 4.91 फीसदी की तुलना में बढ़कर 5.59 फीसदी हो गई है। खुदरा महंगाई का ये आंकड़ा पांच माह का उच्च स्तर है। खाने के तेल, महंगी साग-सब्जियों और महंगे पेट्रोल, डीजल के अलावा बिजली के बढ़ती कीमतों के कारण दिसंबर महीने में खुदरा महंगाई दर में बड़ी बढ़ोतरी हुई है।