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मोबाइल की ‘बैटरी लो’ होते ही आपको तो नहीं होने लगती ये दिक्कतें

देर रात तक मोबाइल पर बिजी रहने की वजह से मोबाइल ने युवाओं को अपना आदि बना दिया है...

आज कल युवाओं में मोबाइल का ऐसा क्रेज है कि एक मिनट भी वो अपने मोबाइल से अलग नहीं रह सकते। सुबह होते ही जैसे ही आंखे खुलती हैं मोबाइल (Mobile) चेक करने की आदत और देर रात तक मोबाइल पर बिजी रहने की वजह से मोबाइल ने युवाओं को अपना आदि बना दिया है।

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मोबाइल यूजर्स (Mobile Users) के लिए मोबाइल की बैटरी (Mobile Battery) का लो हो जाना किसी खौफ से कम नहीं होता। अपने मोबाइल के बिना एक पल भी न रह पाना अगर मोबाइल फोन की बैटरी लो हो जाए या खत्म हो जाए तो इमोशनल होना, खुद को अकेला महसूस करना और दुनिया से कट जाने के डर को नोमोफोबिया कहते हैं।

नोमोफोबिया को अगर शब्दों में तोड़ा जाए तो इसका मतलब है “नो-मोबाइल-फोबिया। नोमोफोबिया एक नया वर्ड है, जो उन लोगों की चिंता या डर को दर्शाता है जो अपने मोबाइल के बिनाएक सेकेंड नहीं रह सकते हैं।

नोमोफोबिया अपने मोबाइल (Mobile)  का डिवाइस से कुछ देर के लिए अलग होने के बाद उन्हें घबराहट, चिंता और डर होने लगता है। अगर किसी को नोमोफोबिया है उनके अंदर ये लक्षण दिखाई देने लगेंगे जैसे मोबाइल या स्मार्टफोन से कुछ देर के लिए अलग होंगे उन्हें पसीना आना, कांपना और दिल की धड़कन तेज होने जैसे लक्षण दिखाई देंगे। अब मोबाइल और अन्य डिजिटल डिवाइस हमारे दैनिक जीवन का एक बेहद अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।

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