पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने लोकपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें सीबीआई (CBI) को महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) के खिलाफ मामले में आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति दी गई थी।
नई दिल्ली। पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने लोकपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें सीबीआई (CBI) को महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) के खिलाफ मामले में आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति दी गई थी।
इससे पहले 21 नवंबर को महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) को अंतरिम राहत देने से इन्कार करते हुए न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल व न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने तर्क दिया है कि लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट-2013 (Lokpal and Lokayukta Act-2013) के तहत लोकपाल द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में साफ तौर पर कमी थी।
पैसे लेकर सवाल पूछने का पूरा मामला क्या है?
तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) पर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में सवाल पूछने का आरोप है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (BJP MP Nishikant Dubey) ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने दावा किया था कि ये सबूत वकील जय अनंत देहादराई द्वारा प्रदान किए गए थे।
लोकसभा स्पीकर को लिखे अपने पत्र में दुबे ने कहा था कि उन्हें वकील और महुआ के पूर्व दोस्त जय अनंत का एक पत्र मिला है, जिसमें उन्होंने मोइत्रा और जाने-माने बिजनेस टाइकून दर्शन हीरानंदानी (Business Tycoon Darshan Hiranandani) के बीच सवाल पूछने के लिए रिश्वत के आदान-प्रदान के सबूत साझा किए थे। ऐसा प्रतीत होता है कि जय ने एक विस्तृत शोध किया है जिसके आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि हाल ही में, मोइत्रा ने संसद में उनके द्वारा पूछे गए कुल 61 में से लगभग 50 प्रश्न दर्शन हीरानंदानी (Darshan Hiranandani) और उनकी कंपनी के व्यावसायिक हितों को बचाने के लिए थे।