रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को रक्षा लेखा विभाग के 278वें स्थापना दिवस पर कहा कि अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आधुनिक युद्ध प्रौद्योगिकी-उन्मुख होता जा रहा है। युद्ध में बड़े पैमाने पर नई तकनीकों का एक आश्चर्यजनक तत्व के रूप में उपयोग किया जाता है। यह हमारे लिए भी चिंताजनक स्थिति पैदा करता है।
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने बुधवार को रक्षा लेखा विभाग (Defense Accounts Department) के 278वें स्थापना दिवस पर कहा कि अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र (Innovation Ecosystem) बनाने की आवश्यकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आधुनिक युद्ध प्रौद्योगिकी-उन्मुख होता जा रहा है। युद्ध में बड़े पैमाने पर नई तकनीकों का एक आश्चर्यजनक तत्व के रूप में उपयोग किया जाता है। यह हमारे लिए भी चिंताजनक स्थिति पैदा करता है। आधुनिक युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली आधुनिक तकनीक वर्षों के अनुसंधान और विकास पर आधारित है। इसलिए हम इसे अनदेखा नहीं कर सकते है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अब हमे एक नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र (Innovation Ecosystem) तैयार कना है। जो देश के रक्षा क्षेत्र को उन्नत करे। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे आसपास चीज़ें बदल रही हैं। उन्हें देखते हुए सुरक्षा की ज़रूरतें भी बढ़ रही हैं। इसीलिए रक्षा बजट भी साल दर साल बढ़ रहा है। रक्षा बजट पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि बजट बढ़ने के साथ। इसका बुद्धिमानी से उपयोग करने की ज़िम्मेदारी भी दोगुनी हो जाती है। रक्षा लेखा विभाग की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज अनुसंधान और विकास की आवश्यकता रक्षा लेखा विभाग के लिए एक चुनौती है। अनुसंधान और विकास के लिए धन मुहैया कराते हुए इस निधि का प्रबंधन कैसे किया जाए। उन्होंने प्रौद्योगिकी विकास (technology development) को बढ़ावा देने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला। उन्होने बढ़ते प्रौद्योगिकी विकास कोष और डीआरडीओ के साथ मिलकर प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।।