HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. पर्दाफाश
  3. इंडसइंड बैंक में चल रही गड़बड़ी को नजरअंदाज करता रहा टॉप मैनेजमेंट! निवेशकों के 20 हजार करोड़ के नुकसान का गुनहगार कौन?

इंडसइंड बैंक में चल रही गड़बड़ी को नजरअंदाज करता रहा टॉप मैनेजमेंट! निवेशकों के 20 हजार करोड़ के नुकसान का गुनहगार कौन?

Indusind Shares Crashed: इंडसइंड बैंक के शेयरों में पिछले चार दिनों के भीतर भूचाल आया हुआ है। जिसमें 11 मार्च को एक ही दिन में बैंक के शेयर की कीमत 27% तक भारी गिरावट देखी गयी। पिछले कुछ दिनों में शेयर 35% तक गिर चुका है। बैंक की वैल्यू 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा घट गई है। निवेशकों के इस बड़े नुकसान की मुख्य वजह बैंक अकाउंटिंग में हुई गड़बड़ी है। वहीं, बैंक का अभी एक्सटर्नल ऑडिट होना बाकी है। जिसके बाद यह नुकसान और भी बढ़ सकता है। ऐसे में बैंक के अकाउंटिंग गड़बड़ी और छोटे निवेशकों का गुनाहगार कौन है यह बड़ा सवाल है। आइए, जानते हैं कि बैंक से कहां गड़बड़ी हुई और क्‍या टॉप मैनेजमेंट इसके बारे में पहले से ही पता था। 

By Abhimanyu 
Updated Date

Indusind Shares Crashed: इंडसइंड बैंक के शेयरों में पिछले चार दिनों के भीतर भूचाल आया हुआ है। जिसमें 11 मार्च को एक ही दिन में बैंक के शेयर की कीमत 27% तक भारी गिरावट देखी गयी। पिछले कुछ दिनों में शेयर 35% तक गिर चुका है। बैंक की वैल्यू 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा घट गई है। निवेशकों के इस बड़े नुकसान की मुख्य वजह बैंक अकाउंटिंग में हुई गड़बड़ी है। वहीं, बैंक का अभी एक्सटर्नल ऑडिट होना बाकी है। जिसके बाद यह नुकसान और भी बढ़ सकता है। ऐसे में बैंक के अकाउंटिंग गड़बड़ी और छोटे निवेशकों का गुनाहगार कौन है यह बड़ा सवाल है। आइए, जानते हैं कि बैंक से कहां गड़बड़ी हुई और क्‍या टॉप मैनेजमेंट इसके बारे में पहले से ही पता था।

पढ़ें :- Stock Market Crash : टूटा 28 साल का रिकॉर्ड, सेंसेक्स 14,14 अंक गिरा, निवेशकों के 11 लाख करोड़ स्वाहा

रिपोर्ट्स के अनुसार, 10 मार्च को इंडसइंड बैंक ने एक नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया कि आरबीआई के निर्देशों के अनुसार इंटरनल ऑडिट में कुछ अकाउंटिंग गलतियां पायी गयीं। इन गलतियों का पता बैंक को तब चला, जब उसने आरबीआई मास्‍टर डायरेक्‍शन के हिसाब से बैंक ने इंटरनल ऑडिट किया। नोटिस में कई टेक्निकल शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। इन शब्दों को आसान भाषा में समझें तो इन गलतियों की वजह से बैंक को 2100 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जबकि, एक्सटर्नल ऑडिट के बाद यह नुकसान और भी बढ़ सकता है। जोकि बैंक की नेटवर्थ का 2.35% है। यह गलती हेजिंग कॉस्ट से जुड़ी है। दरअसल, सभी बैंक विदेशी मुद्रा में लेनदेन करते हैं। इस दौरान विदेशी मुद्रा की कीमतें घटती-बढ़ती रहती हैं। इस जोखिम से बचने के लिए बैंक हेजिंग करते हैं। इसमें डेरिवेटिव्स, फ्यूचर्स और ऑप्शंस का इस्तेमाल होता है। हालांकि, हेजिंग में कई तरह के चार्ज लगते हैं।

इंडसइंड बैंक का ट्रेजरी डिपार्टमेंट हेजिंग का काम देखता है जोकि दो टीमों में बंटा है – इंटरनल और एक्सटर्नल। जिसमें एक्सटर्नल टीम मार्क टू मार्केट (MTM) मेथड का इस्तेमाल करती थी, जबकि इंटरनल टीम दूसरा मेथड इस्तेमाल करती थी। मार्क टू मार्केट मेथड से सही तस्वीर दिखती है। लेकिन, इंटरनल टीम के मेथड से सही तस्वीर नहीं मिल पा रही थी। कई बार करेंसी ट्रेड पहले ही कर लिए जाते थे। इससे इंटरनल टीम को लगता था कि बैंक को फायदा हो रहा है, जबकि ऐसा नहीं था। इसकी वजह से बैंक का प्रॉफिट ज्यादा दिख रहा था। बताया जा रहा है कि बैंक में ये गलती पिछले 7-8 सालों से हो रही थी। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि टॉप मैनेजमेंट को भी इस बारे में पता था। सितंबर 2023 में आरबीआई की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया। इसके बाद बैंक ने इंटरनल ट्रेड बंद कर दिए। सिर्फ एक्सटर्नल ट्रेड (मार्क टू मार्केट मेथड वाले) जारी रहे। लेकिन, तब तक नुकसान हो चुका था।

इंडसइंड बैंक के इंटरनल ऑडिट के अनुसार, पिछले कुछ सालों में बैंक का प्रॉफिट 2100 करोड़ रुपये ज्यादा और नेट प्रॉफिट लगभग 1500 करोड़ रुपये ज्यादा दिखाया गया। यानी हर साल लगभग 220 करोड़ रुपये का गलत प्रॉफिट दिखाया गया। बैंक को यह गलती अक्टूबर 2024 में पता चली थी। लेकिन, उन्होंने इसे 5 महीने बाद मार्च 2025 में बताया। इससे बड़े निवेशकों का भरोसा बैंक से उठ गया। उन्होंने अपना पैसा वापस निकाल लिया। जिससे बैंक के शेयर तेजी से गिरने लगे। इसके चलते छोटे निवेशकों को करोड़ों का नुकसान हुआ। बैंक को 2100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लेकिन, मार्केट कैप 20,000 करोड़ रुपये घट गई है। यह 10 गुना ज्यादा है।

बैंक में गड़बड़ी के बारे में जानता था टॉप मैनेजमेंट?

रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडसइंड बैंक के सीईओ सुमंत कठपालिया ने आरबीआई से अपने पद के लिए 3 साल का एक्सटेंशन मांगा था। लेकिन, कठपालिया को सिर्फ 1 साल का एक्सटेंशन मिला। वहीं, बैंक के सीएफओ गोविंद जैन ने तीसरे क्वार्टर के नतीजे आने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। यानी अक्टूबर 2024 में जैसे ही उन्हें इस गलती के बारे में पता चला, उन्होंने इस्तीफा दे दिया। पिछले क्वार्टर में बैंक का प्रॉफिट 39 प्रतिशत गिरकर 1402 करोड़ रुपये रह गया था। इसकी वजह माइक्रोफाइनेंस लोन में बढ़ता हुआ डिफॉल्ट है।

यह गलती 6-7 साल से हो रही थी, लेकिन बैंक को इसके बारे अक्टूबर 2024 में पता चला। लेकिन, हैरान करने वाली बात ये है कि सीईओ और सीएफओ को इसके बारे कैसे नहीं पता था? एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंक के सीईओ सुमंत कठपालिया ने अपने लगभग सारे शेयर 1437 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेच दिए थे। उनके पास 118 करोड़ रुपये के शेयर थे। उनके डिप्टी सीएफओ अरुण खुराना ने भी अपने लगभग सारे शेयर 1451 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेच दिए थे। उनके पास 70 करोड़ रुपये के शेयर थे।

जिस समय इन दोनों ने अपने शेयर बेचे थे, उस समय शेयर की कीमत अपने उच्चतम स्तर पर थी। इसके अलावा, FII ने भी अपनी शेयरहोल्डिंग 40 से घटाकर 24 प्रतिशत कर दी। जबकि घरेलू संस्‍थागत निवेशक (DII) ने अपनी शेयरहोल्डिंग बढ़ाई है। इससे म्यूचुअल फंड्स और इंश्योरेंस कंपनियों को नुकसान हुआ है। अब सबकी नजर एक्सटर्नल ऑडिट पर है। जिसके बाद क्या होगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। हालांकि, सवाल अभी यही है कि इन बैंकों और कंपनियों की गलतियों का खामियाजा कब तक छोटे निवेशक भुगतते रहेंगे।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...