तुर्की में अगले हफ्ते, यानी 14 मई को संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। इस बार के चुनाव में पांच मिलियन से अधिक मतदाता पहली बार मतदान में भाग लेने के लिए तैयार हैं।
Turkey elections 2023: तुर्की में अगले हफ्ते, यानी 14 मई को संसदीय और राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। इस बार के चुनाव में पांच मिलियन से अधिक मतदाता पहली बार मतदान में भाग लेने के लिए तैयार हैं। तुर्की के तमाम नेता, चुनावी कैम्पेन के लिए एडी से चोटी का जोर लगा रहे है। हालांकि, मुख्य मुकाबले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप अर्दोआन और 6 विपक्षी पार्टियों के संयुक्त उम्मीदवार केमल किलिक डारोग्लू के बीच है।
केमल किलिक डारो ग्लू, तुर्की की मुख्य विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (तुर्की में कुम्हुरियेट हल्क पार्टिसि या CHP) के अध्यक्ष हैं, जिनका 5 और विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है।
नेता किलिकडारोग्लू ने अपने सरल और सहज व्यक्तित्व से लोगों को लुभाया है। लिहाजा, पिछले कई सालों से, राजनीतिक टिप्पणीकारों ने किलिकडारोग्लू की तुलना महात्मा गांधी से की है। उनहें तुर्की का गांधी कहा जाता है। किलिकडारोग्लू की राजनीतिक शैली “विनम्र” है। किलिकडारोग्लू की पार्टी CHP की विचारधारा वामपंथी-मध्यममार्गी है, जो तुर्की की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है, जिसे आधुनिक तुर्की राष्ट्र के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने स्थापित किया था।
एर्दोगन और किलिकडारोग्लू दोनों ने हाल के वर्षों में युवा वोटरों को आकर्षित करने का प्रयास किया है। इस चुनाव में एर्दोगन रक्षा उद्योग पर केंद्रित अपने अभियान के साथ नई पीढ़ी की राष्ट्रवादी भावनाओं को अपील करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी के साथ किलिक डारो ग्लू ने युवाओं की स्वतंत्रता की भावना को अपील करने की कोशिश की है।
दुनिया के लिए अहम हैं तुर्की के चुनाव
तुर्की में 85 मिलियन की आबादी है। तुर्की विश्व मंच पर महत्वपूर्ण शक्ति रखता है। यह नाटो का एक सदस्य है, जिसके रूस के साथ मजबूत रक्षा संबंध हैं।
एर्दोगन के नेतृत्व में तुर्की का भारत के प्रति रवैया ठीक नहीं है। तुर्की ने अस्वीकार्य कश्मीर पर पाकिस्तान के दावों का समर्थन किया है।