Upendra Tiwari Jeevan Parichay: उत्तर प्रदेश के विधानसभा के विधायकों की लिस्ट में आज हम आपको बतायेंगे बलिया जिले के फेफना विधानसभा क्षेत्र के विधायक उपेंद्र तिवारी के बारे में। 360 फेफना विधानसभा बलिया की वो विधानसभा है जो बहुत ही ज्यादा जिले के राजनीति के केंद्र में रहती है। किसी ना किसी मुद्दे पर फेफना जरुर चर्चा का विषय बना रहता है।
Upendra Tiwari Jeevan Parichay: उत्तर प्रदेश के विधानसभा(Uttar Pradesh Legislative Assembly) के विधायकों की लिस्ट में आज हम आपको बतायेंगे बलिया जिले के फेफना विधानसभा क्षेत्र( Phephana Assembly Constituency) के विधायक उपेंद्र तिवारी(MLA Upendra Tiwari) के बारे में। 360 फेफना विधानसभा बलिया की वो विधानसभा है जो बहुत ही ज्यादा जिले के राजनीति के केंद्र में रहती है। किसी ना किसी मुद्दे पर फेफना जरुर चर्चा का विषय बना रहता है। बलिया जिले के बहुआरा वीगही नामक गांव में एक साधारण परिवार में विधायक उपेंद्र तिवारी का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम स्वर्गीय विश्वनाथ तिवारी है। हिन्दू धर्म के भूमिहार विरादरी में जन्म लेने वाले उपेंद्र भूमिहार ब्राहम्ण हैं। इनका जन्म 10 जनवरी 1973 को बलिया जिले के बहुआरा गांव में हुआ था।
प्रारम्भिक शिक्षा
उपेंद्र तिवारी की प्रारम्भिक शिक्षा समेत माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा क्षेत्र के ही सधारण स्कूलों से प्राप्त हुई। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात उपेंद्र स्नातक करने पहुंचे शहर इलाहाबाद। इलाहाबाद विश्वविद्यालय(Allahabad University) में इनका दाखिला हुआ। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा। उसी दौरान विश्वविद्यालय के छात्र संघ में इनकी उपस्थिती भी कमाल की रही। उस वक्त उपेंद्र ने छात्रों के हक की लड़ाईयां भी बड़ी प्रमुखता से लड़ी। छात्रों से जुड़े हर प्रमुख मुद्दों पर उपेंद्र हमेशा आंदोलनरत रहें। छात्रों से जुड़ी कोई भी समस्या हो उपेंद्र उनकी अवाज को उठाने में कभी पीछे नहीं हटे। इस दौरान इन्होंने साल 1996 से 1999 तक का समय नैनी जेल(Naini Jail) इलाहाबाद में कैदी के रुप में काटा। जेल में उपेंद्र राजनीतिक बंदी थे। जहां इन्होंने अपने जीवन के तीन साल काट दिये। अब पढ़ाई पूरी भी हो चुकि थी। आगे का जीवन भी देखना था। जब ये सवाल इनके दिमाग में आने लगे तब जा कर के इन्होंने भारतीय जनता पार्टी से आगे की राजनीति करने की ठानी और पार्टी की सदस्यता ले ली।
पिता का नाम स्व0 विश्वनाथ तिवारी
जन्म तिथि 10 जनवरी, 1973
जन्म स्थान बलिया
धर्म हिन्दू
जाति भूमिहार ब्राह्मण
शिक्षा स्नातकोत्तर
विवाह तिथि 28 मई, 2004
पत्नी का नाम श्रीमती दीपिका तिवारी
सन्तान दो पुत्रियां
व्यवसाय कृषि
मुख्यावास टैगोर नगर, सिविल लाइन्स, बलिया
राजनीतिक पारी
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के सदस्य के रूप में इन्होंने कई साल तक मेहनत किया। इनकी मेहनत से प्रभावित पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इन्हें 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा के आम चुनाव में फेफना के विधानसभा से टिकट दे दिया। राज्य में पूर्ण बुहमत से बसपा की सरकार बनी। उपेंद्र को भी जीत नहीं मिली। और तिवारी अपने क्षेत्र के सपा के प्रत्याशी और वरिष्ठ सपा नेता अंबिका चौधरी(Ambika Chaudhary) से चुनाव हार गये। लेकिन उपेंद्र कहा यही बैठने वाले और थकने वाले थे। भाजपा ने इस दौरान इन्हें बलिया जनपद(Ballia District) का पार्टी का जिलाध्यक्ष बना दिया। जहां ये साल 2008 से 2011 तक इस पद पर बने रहे। फिर से अगले साल 2012 के विधानसभा के चुनाव आ गये।
पार्टी ने फिर से फेफना की सींट से उपेंद्र को भाजपा से उम्मीदवार बना दिया। इस बार के बदले राजनीतिक( Political) समीकरण में भले ही राज्य में समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) की सरकार बनी। लेकिन उपेंद्र ने अपने सभी विरोधियों को धूल चटाते हुए विधानसभा के चुनाव में जीत का पताका लहरा दिया। और उपेंद्र अपनी मेहनत के बल पर विधानसदन जा पहुंचे। क्षेत्र में भी ये अपनी जनता के हकों के लिए जोरदार संघर्ष करने से कभी भी पीछे नहीं हटे। और उनकी बात को सरकार के सामने रखते रहे। फिर से चुनाव साल 2017 में हर पांच साल की तरह लौट आये। राज्य में भाजपा की सरकार बनी, और फिर उपेंद्र विधायक। इस बार इनको इनकी मेहनत का फल मिला और राज्य में भाजपा की पूर्ण सरकार बनते ही ये राज्य मंत्री भी बने। उपेंद्र को उस समय उत्तर प्रदेश की सरकार में खेलकुद, युवा कल्याण एंव पंचायती राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया।
विवादों से भी रहा नाता
हाल ही में प्रदेश की राजनीति में उपेंद्र अपने एक बयान के कारण चर्चा में बहुत दिनों तक बने रहे। ये अपने धूर विरोधी और सपा व बसपा (वर्तमान में किसी भी पार्टी में नहीं) के पूर्व वरिष्ठ नेता अंबिका चौधरी को अपशब्द (Abuse) कहते हुए एक वीडियो में दिखाई दिये। जो सोशल मीडिया(Social Media) में जम कर के वायरल हुआ और इनकी छवि भी इनके अमर्यादित भाषा के कारण धूमिल हुई।