Vivah Muhurat 2024: जून माह में शादी-ब्याह कार्यक्रम पर रोक लगी हुई है, क्योंकि शुक्र के अस्त होने के कारण कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं मिल पाया है। अब विवाह के लिए लगभग एक महीने का इंतजार करना होगा। जुलाई महीने में शादी के लिए बहुत कम मुहूर्त मिल रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार, जुलाई में जब शुक्र देव उदय हो जाएंगे तो फिर से शादी-विवाह का सिलसिला शुरू हो जाएगा, लेकिन 17 जुलाई को फिर से देवशयनी एकादशी के दिन से चार महीने के लिए मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे।
Vivah Muhurat 2024: जून माह में शादी-ब्याह कार्यक्रम पर रोक लगी हुई है, क्योंकि शुक्र के अस्त होने के कारण कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं मिल पाया है। अब विवाह के लिए लगभग एक महीने का इंतजार करना होगा। जुलाई महीने में शादी के लिए बहुत कम मुहूर्त मिल रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार, जुलाई में जब शुक्र देव उदय हो जाएंगे तो फिर से शादी-विवाह का सिलसिला शुरू हो जाएगा, लेकिन 17 जुलाई को फिर से देवशयनी एकादशी के दिन से चार महीने के लिए मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे। इसके बाद देवउठनी एकादशी तक विवाह के लिए मुहूर्त नहीं मिलेगा।
फिलहाल शुक्र ग्रह अस्त होने के कारण शादी-विवाह पर विराम है. जुलाई में शादी के गिने-चुने दिन मिल रहे हैं। विवाह के लिए शुभ दिन का इंतजार कर रहे जोड़ों के लिए मई-जून के विराम के बाद जुलाई में कुछ चुनिंदा मुहूर्त ही मिलेंगे। अगर इन पर चूक गए तो फिर पूरे चार महीने तक का इंतजार करना होगा। आइए जानते हैं जुलाई में पड़ने वाले शुभ मुहूर्त के बारे में।
जुलाई विवाह शुभ लग्न मुहूर्त 2024
जुलाई में इन दिनों पर ही शादी-विवाह संपन्न होंगे। 17 जुलाई से सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी जिसके बाद फिर नवंबर से शादी विवाह शुरू होंगे।
चार्तुमास में मांगलिक कार्य नहीं होंगे
मिथिला पंचांग के अनुसार, जुलाई में तीन दिन व बनारस पंचांग के अनुसार सात दिन शादी का मुहूर्त मिल रहा है। चार्तुमास के दौरान मांगलिक कार्य नहीं होते हैं, क्योंकि चातुर्मास में विवाह करने पर देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिलता है जिससे वैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं बीतता है। शादी ब्याह के लिए शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किसी एक का होना जरूरी होता है।
नक्षत्रों में अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, मूल, मघा, चित्रा, अनुराधा, उत्तरा भद्र, उत्तरा फाल्गुन व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक का रहना जरूरी माना गया है। अति उत्तम शुभ मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक का होना बेहद जरूरी है।