वंदे मातरम् (Vande Mataram) गीत को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-e-Hind) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि उन्हें वंदे मातरम् पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान सिर्फ एक अल्लाह की इबादत करता है और मुसलमान अपनी इबादत में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे को शामिल नहीं कर सकता।
नई दिल्ली। वंदे मातरम् (Vande Mataram) गीत को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-e-Hind) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि उन्हें वंदे मातरम् पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान सिर्फ एक अल्लाह की इबादत करता है और मुसलमान अपनी इबादत में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे को शामिल नहीं कर सकता।
बता दें कि वंदे मातरम् (Vande Mataram) के 150 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने सोमवार को लोकसभा में चर्चा की शुरुआत की। इस बीच अरशद मदनी (Arshad Madani) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘वंदे मातरम् (Vande Mataram) का अनुवाद शिर्क से संबंधित मान्यताओं पर आधारित है, इसके चार श्लोकों में देश को देवता मानकर दुर्गा माता से तुलना की गई है और पूजा के शब्दों का प्रयोग हुआ है। साथ ही मां मैं तेरी पूजा करता हूं। यही वंदे मातरम (Vande Mataram) का अर्थ है।
हमें किसी के “वंदे मातरम्” पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान केवल एक अल्लाह की इबादत करता है और अपनी इबादत में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे को शामिल नहीं कर सकता। और “वंदे मातरम्” का अनुवाद शिर्क से संबंधित मान्यताओं पर आधारित है, इसके चार श्लोकों में देश को देवता…
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) December 9, 2025
मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने वंदे मातरम् (Vande Mataram) का अर्थ समझाते हुए कहा कि यह किसी भी मुसलमान की धार्मिक आस्था के खिलाफ है इसलिए किसी को उसकी आस्था के खिलाफ कोई नारा या गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) देता है।
अरशद मदनी (Arshad Madani) ने कहा, कि वतन से प्रेम करना अलग बात है, उसकी पूजा करना अलग बात है। उन्होंने कहा कि किसी मुसलमान को उसकी आस्था के खिलाफ नारा या गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
वंदे मातरम पर संसद में विशेष चर्चा में भाग लेते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सांसद असदुद्दीन ओवैसी (MP Asaduddin Owaisi) ने कहा कि भारत में आजादी इसलिए आई कि हमने मुल्क और मजहब को एक नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि हुकूमत इस पर जोर-जबर नहीं करे, अगर जबरदस्ती करेंगे तो यह संविधान के खिलाफ है।
ओवैसी ने कहा कि जिन्होंने जंग-ए-आजादी (Freedom War) में हिस्सा नहीं लिया, आज वे वतन से मोहब्बत की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देशभक्ति दिखानी है तो गरीबी खत्म की जाए। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या वे वंदे मातरम् को वफादारी का टेस्ट बनाना चाहते हैं। उन्होंने वंदे मातरम् गाने या इसका उद्घोष करने के मुद्दे पर कहा कि हम अपनी मां की इबादत नहीं करते, हम कुरान की भी इबादत नहीं करते और इस्लाम में अल्लाह के सिवा कोई खुदा नहीं।