नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक से पहले मंगलवार को गुपकार गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई है। इसमें सर्वदलीय बैठक को लेकर रणनीति तैयार की की गई है। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अपने आवास पर पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) की बैठक की अध्यक्षता की है। इसके बाद वह पत्रकारों से रूबरू हुए है।
नई दिल्ली। नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक से पहले मंगलवार को गुपकार गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई है। इसमें सर्वदलीय बैठक को लेकर रणनीति तैयार की की गई है। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अपने आवास पर पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) की बैठक की अध्यक्षता की है। इसके बाद वह पत्रकारों से रूबरू हुए है।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती, मोहम्मद तारिगामी और मैं शामिल हूंगा। हमें कोई एजेंडा नहीं दिया गया है। इसलिए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने हम अपना पक्ष रखेंगे।
बैठक में पहुंचे पीएजीडी सदस्य मुजफ्फर शाह ने कहा कि हम पीएम की ओर से बुलाई गई। बैठक और उसके एजेंडे पर फैसला करेंगे। हम अनुच्छेद-370 और 35-ए के बारे में भी बात करेंगे। बता दें कि अब्दुल्ला पीएम मोदी की बैठक के लिए आमंत्रित 14 नेताओं में शामिल हैं। वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ केंद्र के साथ इस तरह की पहली बातचीत पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियों पर केंद्र की पैनी नजर
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला बैठक को लेकर पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। वे प्रस्तावित बैठक को लेकर जम्मू और कश्मीर में चल रही राजनीतिक घटनाक्रम की पल-पल की जानकारी हासिल कर रहे हैं। बीते दो दिनों से कश्मीर में सियासी सरगर्मी तेज है। पीडीपी की राजनीतिक मामलों की समिति ने महबूबा मुफ्ती को फैसला लेने के लिए अधिकृत किया है तो नेकां प्रमुख दो दिनों से पार्टी सांसदों व नेताओं से विचार-विमर्श कर रहे हैं। पीपुल्स कांफ्रेंस व अपनी पार्टी ने भी बैठक कर रायशुमारी की है। जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी प्रमुख अल्ताफ बुखारी आज अपने पत्ते खोल सकते हैं। ज्ञात हो कि बैठक के लिए चार पूर्व मुख्यमंत्रियों, चार उप मुख्यमंत्रियों समेत 14 नेताओं को सर्वदलीय बैठक के लिए बुलाया गया है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मुद्दा भी उठेगा
सर्वदलीय बैठक में प्रदेश से जुड़े नेता राजनीतिक गतिरोध दूर करने, आम लोगों के दर्द तथा नौकरशाही से लोगों को आ रही परेशानियों को उठा सकते हैं। इसके साथ ही राज्य का दर्जा बहाल करने और परिसीमन की प्रक्रिया को जल्द पूरा कर विधानसभा चुनाव कराने की मांग भी रख सकते हैं। नेताओं की ओर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद लगभग दो साल तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मुद्दा भी उठाया जा सकता है। इसमें पर्यटन से लेकर कारोबार को हुए नुकसान की बात भी नेता रखेंगे।