दिल्ली यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ चुनाव का जबरदस्त हाइप बना हुआ है। यहां कल वोटिंग हुई थी और आज काउंटिंग शुरू हो चुकी है। यानि आज शाम तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए अध्यक्ष का नाम पता चल जाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव राजनीति का पहला कदम माना जाता है। बता दे कि जिन लोगों को राजनीति में रुचि है उनलोगों के लिए पहली सीढ़ी है। दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का अध्यक्ष पद सिर्फ स्टूडेंट यूनियन की मीटिंग्स बुलाने या कॉलेजों में आयोजनों को सुपरवाइज करने तक सीमित नहीं है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ चुनाव का जबरदस्त हाइप बना हुआ है। यहां कल वोटिंग हुई थी और आज काउंटिंग शुरू हो चुकी है। यानि आज शाम तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए अध्यक्ष का नाम पता चल जाएगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव राजनीति का पहला कदम माना जाता है। बता दे कि जिन लोगों को राजनीति में रुचि है उनलोगों के लिए पहली सीढ़ी है। दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का अध्यक्ष पद सिर्फ स्टूडेंट यूनियन की मीटिंग्स बुलाने या कॉलेजों में आयोजनों को सुपरवाइज करने तक सीमित नहीं है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का अध्यक्ष छात्रों का आवाज उठाता है उनके सपनों को साकार करता है । तो यूनिवर्सिटी प्रशासन और सरकार के बीच पुल भी बनता है। इस पद को राजनीति में कद बढ़ाने का मजबूत मंच माना जाता है। DUSU अध्यक्ष कॉलेज स्तर की समस्याओं से लेकर शिक्षा नीति, हॉस्टल सुविधाओं, फीस की व्यवस्था, महिलाओं की सुरक्षा जैसे बड़े मुद्दों पर बोलने का हिम्मत रखता है। अध्यक्ष मीडिया ब्रीफिंग करता है, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के संपर्क में आता है और बड़े नेताओं की नजर में भी आ जाता है। इन सभी चीजों के लिए ये पद युवाओं को आकर्षित करता है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव 2025
बता दें कि इस साल के DUSU चुनावों ने एक बार फिर से साबित कर दिया है ये मेहनत किसी भी हद तक जाकर अपने मुकाम को हासिल कर सकता है। इस बार बोली-शैली, पोस्टर्स और कैंपेनिंग टेक्नीक्स पहले से ज्यादा तेज हैं। वोटिंग डेटा में बढ़ी भागीदारी (लगभग 39-40 प्रतिशत) छात्रों को उम्मीदों की तरफ इशारा किया है. लेकिन इस मैदान में ‘पैसा, पहचान, बाहरी समर्थन’ आदि की भूमिका भी बड़ी हो गई है.।
दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव बड़े पैमाने की राजनीति का पहला कदम है। नेताओं को चुनाव जीतने पर क्या फायदे मिलते हैं, यह तो सभी जानते हैं. लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष को आखिर ऐसा क्या मिलता है जिसे पाने के लिए लोग जान बाज़ी पर लगा देते हैं। नाम, पहचान और नेटवर्किंग- अध्यक्ष को यूनिवर्सिटी-स्तर पर बड़ी पहचान मिलती है. मीडिया कि गलियों में उनके चर्चे अक्सर होते इससे राजनीति में, सामाजिक कार्यों में, छात्र संगठनों में बेहतर अवसर बनते हैं।
लीडरशिप का अनुभव और स्किल डेवलपमेंट- इस पद पर काम करने से छात्र आयोजनों, कैंपेनिंग, प्रशासनिक मामलों में हाथ होता है। सार्वजनिक बोलने की क्षमता, ऑर्गनाइजेशनल स्किल्स, लोगों से संवाद करना सीख सकते हैं। ये अनुभव राजनीति में करियर बनाने में सहायक होते हैं। रिसोर्सेस और ऑफिस-पोस्ट के फायदे- दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष को वेतन नहीं मिलता है. लेकिन छात्रसंघ को कुछ रिसोर्सेस मिलते हैं – यूनिवर्सिटी बेसिक ऑफिस की सुविधा देती है, कभी-कभी कैंपेनिंग संसाधन, ऑफिस स्पेस, संपर्क अधिकार आदि भी मिलते हैं।