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पंजाब से पाकिस्तान गेहूं जाना हुआ बंद, दो सप्ताह में दोगुनी हुई आटे की कीमत, रोटी के लिए मोहताज हो रहे है लोग

पाकिस्तान सरकार अपने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर जितने भी दावे कर ले सब फेल है। पाकिस्तान की आम जनता एक— एक रोटी के लिए मोहताज हो गई है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 20 किलो आटे की बोरी की कीमत 2100 पीकेआर है। पंजाब से गेहूं की सप्लाई बंद होने के बाद आटे कि कीमत में बढ़ोतरी हुई है। दो सप्ताह पहले इससे पहले पाकिस्तान में 1400 पीकेआर का 20 किलो आटा मिल रहा था।

By Satish Singh 
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नई दिल्ली। पाकिस्तान सरकार (government of pakistan) अपने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर जितने भी दावे कर ले सब फेल है। पाकिस्तान की आम जनता एक- एक रोटी के लिए मोहताज हो गई है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 20 किलो आटे की बोरी की कीमत 2100 पीकेआर है। पंजाब से गेहूं की सप्लाई बंद होने के बाद आटे कि कीमत में बढ़ोतरी हुई है। दो सप्ताह पहले इससे पहले पाकिस्तान में 1400 पीकेआर का 20 किलो आटा मिल रहा था।

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केंद्र और खैबर-पख्तूनख्वा सरकारों (The central and Khyber-Pakhtunkhwa governments) के बीच चल रही खींचतान ने प्रांत को आटे के संकट में डाल दिया है। लोकल मार्केट में कीमतों में बहुत ज़्यादा बढ़ोतरी देखी जा रही है और आटा मिलें बंद होने की कगार पर हैं। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब से गेहूं और आटे की सप्लाई तीन हफ़्ते से ज़्यादा समय से रुकी हुई है, जिससे K-P की फ़ूड सप्लाई चेन में अफ़रा-तफ़री मच गई है। 20 किलो आटे के एक बैग की कीमत 1400 पीकेआर थी, लेकिन कुछ ही दिनों में यह बढ़कर 2100 पीकेआर से लेकर 2900 पीकेआर तक बिक रही है। रिफाइंड सफ़ेद आटे (refined white flour) की कीमत भी 1800 पीकेआर से बढ़कर 3200 पीकेआर हो गई है। इस खतरनाक ट्रेंड के बावजूद, प्रांतीय सरकार अंदरूनी राजनीतिक खींचतान में उलझी हुई है और इस संकट को दूर करने या कोई दूसरा सप्लाई प्लान बनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। पेशावर के फिरदौस मार्केट में कपड़ों का बिज़नेस करने वाले जमरूद के एक ट्रेडर रेहान अफरीदी ने अचानक बढ़ी कीमतों पर गुस्सा दिखाया। उन्होंने कहा कि पिछले महीने तीन हजार पीकेआर में 20 किलो के दो आटे के बैग खरीदे थे। इस हफ़्ते उतने ही आटे की कीमत 5500 पीकेआर से ज़्यादा है। आटा और घी ज़रूरी चीज़ें हैं और उनकी बढ़ती कीमतों ने हमारे परिवार का बजट बिगाड़ दिया है। चमकनी के एक सुजुकी ड्राइवर नबी जान ने भी निराशा जताई ने कहा कि गांव और शहर दोनों मार्केट के गोदामों में आटा भरा पड़ा है। फिर भी सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि एडमिनिस्ट्रेशन आसानी से यह स्टॉक खरीद सकता था और गरीबों को सब्सिडी वाली दरें दे सकता था, लेकिन वे बेपरवाह बने हुए हैं।

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