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भारत की पहली तीन पहियों वाली कार सिपानी बादल आखिर क्यों हो गई फ्लाॅप

जब भी कारों के इतिहास के बारे में बात शुरू होती है तो सफल कारों के साथ कुछ बुरी तरह पिछड़ने वाली कारों की भी बात होती है।

By प्रीति कुमारी 
Updated Date

भारत में भी कार कंपनियों की कुछ ऐसी कारें रहीं जो बाजार में बुरी तरह पिट गईं। कुछ कारें ज्यादा कीमती होने के कारण नहीं बिकी तो कुछ अपनी डिजाइन के कारण लोगों को पसंद नहीं आयीं। आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसी ही कार के बारे में जिसका डिजाइन उसकी बर्बादी की वजह बन गया। साल 1975 में भारतीय बाजार में कार कंपनियां प्रवेश कर रही थीं और उस समय कुछ गिनी चुनी ही कार कंपनियां मौजूद थीं। इस समय भारतीय कंपनी सिपानी (Sipani) एक बेहद अलग कार को लेकर आयी। यह कार एक थ्री-व्हीलर कार थी जो सिपानी बादल (Sipani Badal) के नाम से जानी जाती थी।

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सिपानी बादल को उस समय मौजूद कारों के किफायती विकल्प के तौर पर लाया गया था। सिपानी कारों को ब्रिटैन की कंपनी रिलाएंट मोटर्स की मदद से बनाया जा रहा था। बेहद अजीब सी दिखने वाली तीन पहियों वाली ये कार एक साल में करीब 150 यूनिट बिकी, लेकिन कंपनी को सबसे अधिक सेल 300 यूनिट की ही मिली। इस कार की सबसे कम लोकप्रियता की वजह इसका डिजाइन था। थ्री-व्हीलर कार उस समय काफी नया कॉन्सेप्ट था जो ग्राहकों को नहीं भाया। कार में कई तकनीकी खामियां भी थी। यह कार खड़ी सड़क या ढलान पर आसानी से अपना संतुलन खो देती थी जिससे लोगों को कई बार हादसे का शिकार होना पड़ा।

कार में वजन का संतुलन भी नहीं ठीक तरीके से नहीं किया गया था जिस वजह से यह अधिक स्पीड में अनियंत्रित हो जाती थी। सिपानी बादल की बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनी ने उस समय के कई प्रसिद्ध कलाकारों से इसका प्रचार करवाया लेकिन कार की खराब छवि और कम सेल्स के कारण इसे अंत में बंद करना पड़ा।सिपानी बदल में को एक 4 सीटर कार का डिजाइन दिया गया था, लेकिन इसके अंदर एक कार के अनुसार फीचर्स नहीं दिए गए थे। कार के सामने दो दरवाजे और पीछे बैठने वाले लोगों के लिए एक दरवाजा दिया गया था। इस थ्री-व्हीलर कार में 200cc का पेट्रोल इंजन लगाया गया था जो उस समय स्कूटरों में इस्तेमाल किया जाता था।

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