बिंदी जो की भारतीए नारी की पहचान हैं।इसे लोग अपने अपने नज़रिये से देखते हैं कोई इसे फ़ैशन के नज़रिये से देखता है। वहीं परम्पराओं के अनुसार इसे सुहाग की निशानी माना गया है।लेकिन क्या आप सही में जानते हैं की बिंदी लगाने का असली कारण क्या है ?‘बिंदी’ शब्द संस्कृत के ‘बिंदु’ से आया है, जिसका मतलब होता है ‘एक बिंदु’। यह सिर्फ एक साधारण बिंदु नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति में इसका बहुत महत्व है। भारतीय दर्शन में यह स्थान दोनों भौंहों के बीच का भाग होता है, जिसे 'आज्ञा चक्र' भी कहते है।
बिंदी जो की भारतीए नारी की पहचान हैं।इसे लोग अपने अपने नज़रिये से देखते हैं कोई इसे फ़ैशन के नज़रिये से देखता है। वहीं परम्पराओं के अनुसार इसे सुहाग की निशानी माना गया है।लेकिन क्या आप सही में जानते हैं की बिंदी लगाने का असली कारण क्या है ?
कहां से आया यह शब्द?
‘बिंदी’ शब्द संस्कृत के ‘बिंदु’ से आया है, जिसका मतलब होता है ‘एक बिंदु’। यह सिर्फ एक साधारण बिंदु नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति में इसका बहुत महत्व है। भारतीय दर्शन में यह स्थान दोनों भौंहों के बीच का भाग होता है, जिसे ‘आज्ञा चक्र’ भी कहते है।इसे अक्सर ‘तीसरी आंख’ से जोड़ा जाता है, जो ज्ञान और अंतर्ज्ञान का केंद्र मानी जाती है। यह एक ऐसा निशान है जो देवी-देवताओं से जुड़ाव और आंतरिक शक्ति का प्रतीक है। समय के साथ इसके मायने भी बदलते गए हैं। वहीं इसका महत्व आज भी जिंदा है।
परंपरा, पहचान और शक्ति का प्रतीक
भारतीय समाज में बिंदी सिर्फ सौंदर्य का प्रतीक नहीं रही है, यह नारी की सामाजिक और आध्यात्मिक स्थिति को भी दर्शाती है। विवाहित स्त्रियों के लिए विशेषकर लाल बिंदी शुभता, प्रेम, सौभाग्य और सुरक्षा की निशानी मानी गयी है।यह देवी शक्ति से जुड़ी होती है और स्त्री के भीतर मौजूद ऊर्जा को दर्शाती है।
फैशन और परंपरा का संगम
वहीं आज कल बिंदी एक फ़ैशन ट्रेंड बन गया है। मार्केट में अब कई कलर और अनेकों डिज़ाइन में बिंदी मिल आ रही है। बदलते फ़ैशन के साथ सब चीज़ के तरह ये भी काफी चेंज हो गयी है।
आधुनिकता में बिंदी का नया स्थान
आज के टाइम में जब पूरी दुनिया एक-दूसरे की संस्कृति से जुड़ रही है, बिंदी भी एक ग्लोबल पहचान बन चुकी है। कई अंतरराष्ट्रीय कलाकार और फैशन आइकन भी अब बिंदी को एक स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में अपना रहे हैं।