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Nepal Unrest: नेपाल में होगी राजशाही की वापसी ? ,जानिए कहां है राज परिवार

नेपाल में युवाओं का प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब तख्तापलट  के बाद वहीं की आर्मी न कमान संभाल लिया है। इस कदर हिंसा को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं की आगे नेपाल की राह क्या होगी। इस समय नेपाल में  राजशाही को लेकर लगातार मांग किया जा रहा  है इसे देखकर ऐसा लगता  है कि नेपाल में फिर से राजशाही कि वापसी हो सकती है ।  नेपाल की राजधानी काठमांडू में बीते मार्च में ही राजशाही की वापसी और हिंदू राज्य की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र सिंह भी खासे सक्रिय दिखाई दिए। आज हम आप को बताएँगे कि नेपाल का शाही परिवार अभी क्या कर रहा है।

By Aakansha Upadhyay 
Updated Date

नेपाल में युवाओं का प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब तख्तापलट  के बाद वहीं की आर्मी न कमान संभाल लिया है। इस कदर हिंसा को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं की आगे नेपाल की राह क्या होगी। इस समय नेपाल में  राजशाही को लेकर लगातार मांग किया जा रहा  है इसे देखकर ऐसा लगता  है कि नेपाल में फिर से राजशाही कि वापसी हो सकती है ।  नेपाल की राजधानी काठमांडू में बीते मार्च में ही राजशाही की वापसी और हिंदू राज्य की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र सिंह भी खासे सक्रिय दिखाई दिए। आज हम आप को बताएँगे कि नेपाल का शाही परिवार अभी क्या कर रहा है।

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पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह

साल 2008 में राजशाही के खत्म होने के बाद से पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह एक आम आदमी के तरह देश में रह रहे हैं। ज्ञानेंद्र शाह का मुख्य निवास काठमांडू में निर्मल निवास है, लेकिन साल 2024 की शुरुआत में, वे कथित तौर पर शहर के बाहरी इलाके, नागार्जुन पहाड़ियों में, हेमंताबास नामक फार्म हाउस नुमा घर में रह रहे थे।

कैसे भड़का नेपाल की जनता का गुस्सा?

बता दें कि  नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद के बाद लोकतंत्र  आया जिससे  युवाओं को उम्मीद थी कि उनका भविष्य पहले से अच्छा होगा । लेकिन नेपाल की विभिन्न लोकतांत्रिक सरकारें  लोगों की एक मनसा पूरी न कर सकी ।  साथ ही बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी ने लोगों को निराश किया तो भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति ने जनता के गुस्से को और बढ़ा दिया। हाल ही में जैसे ही नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया, वैसे ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और युवा वर्ग सड़कों पर उतर आया। सरकार ने सख्ती से निपटने की कोशिश की, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद मंगलवार को जनता का आक्रोश दिखा और सरकार को न सिर्फ सत्ता से बेदखल किया बल्कि संसद भवन, सिंह दरबार जैसी लोकतांत्रिक संस्थाओं में भी आग लगा दी।

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