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15 अगस्त को ध्वजारोहण होगा या झंडा फहराया जाएगा? बहुत से लोग नहीं जानते हैं इनमें अंतर, समझिए

Independence Day 2025, Difference Between Flag Hoisting and Flag Unfurling : 15 अगस्त 2025 को भारत की स्वतंत्रता के 78 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर पूरा देश 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। वहीं, देशभर में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम आयोजित होंगे, जहां पर उन सभी नायक-नायिकाओं को याद किया जाएगा, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए यातनाएं झेलीं, सीने पर गोली खाई और हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए। हालांकि, स्वतंत्रता दिवस के जश्न का केंद्र दिल्ली स्थित लाल किला होगा।

By Abhimanyu 
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Independence Day 2025, Difference Between Flag Hoisting and Flag Unfurling : 15 अगस्त 2025 को भारत की स्वतंत्रता के 78 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर पूरा देश 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। वहीं, देशभर में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम आयोजित होंगे, जहां पर उन सभी नायक-नायिकाओं को याद किया जाएगा, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए यातनाएं झेलीं, सीने पर गोली खाई और हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए। हालांकि, स्वतंत्रता दिवस के जश्न का केंद्र दिल्ली स्थित लाल किला होगा।

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दरअसल, स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले पर ध्वजारोहण करेंगे और देश को संबोधित भी करेंगे। ध्वजारोहण और झंडा फहराना, बहुत से लोगों को एक जैसा लगता है, लेकिन इन दोनों में काफी अंतर है। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं, जबकि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। अगर को डिटेल से समझें तो स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे झंडे को नीचे से ऊपर की ओर खींचा जाता है, जिसे ध्वजारोहण कहा जाता है। एक तरह से तिरंगा झंडा नीचे से लहराते हुए ऊपर पोल की ओर जाता है। झंडे को रस्सी की मदद से नीचे से ऊपर की ओर खींचा जाता है। प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ध्वजारोहण करते हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ध्वजारोहण एक नए देश के उदय का प्रतीक है। ध्वजारोहण हमें औपनिवेशिक शासन से आजादी को भी दिखाता है।

गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दौरान तिरंगे झंडे को फोल्ड करके बांधा जाता है, जिसमें फूलों की पंखुड़ियां होती हैं। पोल पर ऊपर की ओर बंधे झंडे को राष्ट्रपति एक डोर को खींचकर उसे खोलकर फहराते हैं, जिसे झंडा फहराना कहते हैं। झंडा फहराना ये दिखाता है कि संविधान में जो सिद्धांत और नियम दिए गए हैं, उनके प्रति हमारा देश अपनी प्रतिबद्धता जता रहा है। इसे भारत के अंग्रेजों के चंगुल से आजाद होकर एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के तौर पर भी देखा जाता है।

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