आज वर्ड थैलेसीमिया डे है। कई लोग तो जानते ही नहीं होंगे ये क्या होता है, कैसे होता है। आज हम आपको इसके बारे में कुछ जरुरी बाते बताने जा रहे हैं। दरअसल थैलेसीमिया बच्चों को अपने माता पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला ब्लड डिसऑर्डर है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में दिक्कतें होने लगती है। जिसकी वजह से एनीमिया के लक्षण नजर आने लगते है।
World Thalassemia Day: आज वर्ड थैलेसीमिया डे है। कई लोग तो जानते ही नहीं होंगे ये क्या होता है, कैसे होता है। आज हम आपको इसके बारे में कुछ जरुरी बाते बताने जा रहे हैं। दरअसल थैलेसीमिया (Thalassemia) बच्चों को अपने माता पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला ब्लड डिसऑर्डर है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में दिक्कतें होने लगती है। जिसकी वजह से एनीमिया के लक्षण नजर आने लगते है।
थैलेसीमिया (Thalassemia) में बच्चों के शरीर में खून की बहुत अधिक कमी होने लगती है।जिसकी वजह से बार बार बाहर के खून की आवश्यकता पड़ने लगती है। थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है। एक माइनर औऱ दूसरा होता है मेजर थैलेसीमिया ।
थैलेसीमिया (Thalassemia) एक जानलेवा बीमारी है। इसलिए होने वाले बच्चे को इस बीमारी से बचाने के लिए शादी के पहले थैलेसीमिया टेस्ट जरुर करा लें। थैलेसीमिया मेजर के इलाज के लिए नियमित आयरन की गोली जरुर खाएं।साथ ही चिलेशन थेरेपी करनी होती है।
इसका स्थाई इलाज बोनमैरो ट्रांसप्लांट होता है, जो की बहुत हो मुश्किल और महंगा होता है। थैलेसीमिया (Thalassemia) माइनर की जांच आप मध्य प्रदेश के किसी भी जिला अस्पताल में निःशुल्क करवा सकते हैं। थैलेसीमिया मेजर के बच्चों के लिए सरकार ने डे केयर सेंटर भी बनवाया है, जहां पर उन्हें निःशुल्क रक्त उपलब्ध करवाया जाता है। मध्य प्रदेश सरकार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए पेंशन भी उपलब्ध करवाती है।