इज़राइल के तरफ से शुक्रवार 13 जून को किये गए हमले में ईरान के नटांज़ परमाणु संयंत्र (Iran's Natanz Nuclear Plant) और अन्य सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें कम से कम छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं। इन वैज्ञानिकों की मौत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरा झटका लगा है।
नई दिल्ली। इज़राइल (Israel) के तरफ से शुक्रवार 13 जून को किये गए हमले में ईरान के नटांज़ परमाणु संयंत्र (Iran’s Natanz Nuclear Plant) और अन्य सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें कम से कम छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं। इन वैज्ञानिकों की मौत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरा झटका लगा है। इन वैज्ञानिकों के नाम हैं – अब्दुल हमीद मिनोउचहर, अहमदरज़ा ज़ोल्फ़ाघारी, सैयद अमीरहोसेन फेक्ही, मोत्लाबीज़ादेह, मोहम्मद मेहदी तहरेनची और फेरेदून अब्बासी। आइए इनके बारे में जानते हैं।
अब्दुल हमीद मिनोउचहर : अब्दुल शहीद बेहेश्ती विश्वविद्यालय में परमाणु भौतिकी के प्रोफेसर थे इसे साथ ही वो मिनोउचहर यूरेनियम संवर्धन के विशेषज्ञ भी थे। उन्होंने नटांज़ संयंत्र में सेंट्रीफ्यूज तकनीक विकसित की, जिससे ईरान 20% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन करने में सक्षम हुआ। उनकी विशेषज्ञता रिएक्टर डिज़ाइन और परमाणु ईंधन उत्पादन में थी।
अहमदरज़ा ज़ोल्फ़ाघारी : हमदरज़ा भी शहीद बेहेश्ती विश्वविद्यालय में परमाणु इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। उनके द्वारा बनाए गए IR-8 सेंट्रीफ्यूज 60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन कर सकते थे।
सैयद अमीरहोसेन फेक्ही : फेक्ही ने अराक भारी जल रिएक्टर के विकास में योगदान दिया था जो प्लूटोनियम उत्पादन के लिए अहम है। फेक्ही की विशेषज्ञता रिएक्टर सुरक्षा और परमाणु ईंधन चक्र में थी।
मोत्लाबीज़ादेह : ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के वरिष्ठ इंजीनियर मोत्लाबीज़ादेह मिसाइल तकनीक और परमाणु हथियार अनुसंधान में शामिल थे। उन्होंने ट्रिगर तंत्र विकसित किया, जिसने ईरान को परमाणु हथियार बनाने की कगार तक पहुंचाया।
मोहम्मद मेहदी तहरेनची : इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष तहरेनची ने परमाणु अनुसंधान को शिक्षा से जोड़ा। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित कर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को मजबूत किया। उनकी रुचि रिएक्टरों के थर्मल डिज़ाइन में थी।
फेरेदून अब्बासी : अब्बासी AEOI के पूर्व प्रमुख और शहीद बेहेश्ती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्बासी ईरान के परमाणु कार्यक्रम के डिजाइनर भी थे।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम ठप
विशेषज्ञों का मानना है कि इन वैज्ञानिकों की मौत से ईरान के परमाणु कार्यक्रम में 1-2 साल की देरी हो सकती है। यूरेनियम संवर्धन और रिएक्टर डिज़ाइन में कमी आएगी, और परमाणु हथियार विकास की “थ्रेशहोल्ड” स्थिति कमजोर होगी। नए वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने में समय लगेगा।
ईरान ने दी बदले की धमकी
ईरान ने इस हमले को “आतंकवादी कृत्य” करार दिया और इज़राइल व अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया। संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज करते हुए ईरान ने बदला लेने की बात कही। हालांकि, वायु रक्षा की कमजोरी ने ईरान को भारी नुकसान पहुंचाया।