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अवधी दुनिया के पन्द्रह हजार करोड की भाषा बन चुकी : डॉ राम बहादुर मिश्र

अवधी साहित्य संस्थान अमेठी ‌की ओर से स्थानीय हनुमान गढ़ी के पावन सभागार में हिन्दी के सम्वर्द्धन में अवधी की भूमिका विषय पर विचार एवं कवि गोष्ठी शनिवार को आयोजित किया गया। शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती जी के साथ गोस्वामी तुलसीदास, मलिक मोहम्मद जायसी के चित्र पर पूजा अर्चना एवं माल्यार्पण से हुआ।

By शिव मौर्या 
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अमेठी। अवधी साहित्य संस्थान अमेठी ‌की ओर से स्थानीय हनुमान गढ़ी के पावन सभागार में हिन्दी के सम्वर्द्धन में अवधी की भूमिका विषय पर विचार एवं कवि गोष्ठी शनिवार को आयोजित किया गया। शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती जी के साथ गोस्वामी तुलसीदास, मलिक मोहम्मद जायसी के चित्र पर पूजा अर्चना एवं माल्यार्पण से हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए अवधी साहित्य संस्थान अमेठी के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि हमें अपनी निज भाषा पर गर्व होना चाहिये। जहां मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत अवधी का मूल ग्रन्थ है वहीं श्रीरामचरितमानस मानस दुनिया का अवधी का सर्वोपरि ग्रन्थ है।

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मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ रामबहादुर मिसिर ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज अवधी दुनिया के पन्द्रह करोड़ की भाषा बन चुकी है। अवधी अवधी संस्कृति की पहचान है। नेपाल की तरह देश में हिन्दी साहित्य को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलना समय की जरूरत है। अध्यक्षता करते हुए प्रेम कुमार त्रिपाठी प्रेम ने कहा कि हिन्दी के सम्वर्द्धन में अवधी की भूमिका अहम है। हमें अपनी निजी भाषा पर गर्व होना चाहिए। संगोष्ठी में बाबा मनोहर सिंह ने अवधी की सराहना करते हुए कहा कि अवधी एक दिन आमजन की भाषा बने।

संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में संगोष्ठी में पधारे कवियों में पुरुषोत्तम तिवारी साहित्यर्थी ने पढ़ा की कब तक करें प्रतिक्षा कब तक साधे मौन रहें, बैठो पास कभी तो तुमसे मन की बात कहें। सुल्तानपुर से पधारे कवि हरिनाथ शुक्ला हरि ने पढ़ा की भानु कृसानु भवा व तवा जस लाल भई अब भूमि जरी है। अध्यक्षता प्रेम कुमार त्रिपाठी प्रेम ने पढ़ा हेकड़ी भुला दिया शेखर ने लंदन के सौदागर का , कद शहर का बढ़ता बढ़ता बढ़ता गया दिवाकर सा। राधेश्याम पांडे दीन ने पढ़ा लोकतंत्र के महापर्व के शानदार सम्मान करा। कुंज बिहारी लाल मौर्य ने पढ़ा कहां है बटेश्वर सुना पुराने का बरखा जब धान झुराने। श्रीनाथ मौर्य सरस ने पढ़ा अनपढ़ गवार गांव के संस्कार हमहू देखें अही।

आचार्य अनीश देहाती ने पढ़ा डिग्री तमाम लेकर आए पान लगावत, हमारे सपूत यही बरे फेलै भले अहैं। राम लगन आशीष ने पढ़ा यह कौन जमाना लगा है बापय से बेटवा भाग अहै। राम भजन शुक्ला पथिक ने पढ़ा खाकी वाले खलते हैं खादी वाले खलते हैं। रामरथ पांडे रायबरेली ने पढ़ा अंजनी पुत्र बली हनुमान बतावा हम कहां जाई। आशुतोष गुप्त ने पढ़ा जब से तुमने मुझे पुकारा दिल की धड़कन मचल रही है। राम कुमारी ने पढ़ा अपनी व्यथा सुनाओ किसको कैसे दर्द मिटाऊं मैं। कवि सुरेश शुक्ला नवीन ने पढ़ा प्यासी अखियां रात नहर कब तक दरस दिखाओगे परदेसी कब आओगे। कवि डा केसरी शुक्ला ने पढ़ा रोज रोता हूं तो सोता हूं मेरी आदत है, यह दवा खाए बिना नींद नहीं आती है। अभिजीत त्रिपाठी ने पढ़ा घर हमारी मौत से तुमको राज मिल सके, हमको महज बताइए आप मुस्कुराइए। शब्बीर अहमद सूरी ने पढ़ा मोहब्बत में वो ताकत है पत्थर तोड़ देती है।

कार्यक्रम का संचालन कवि अनिरुद्ध मिश्रा ने किया। संगोष्ठी में कैप्टन पी एन मिश्र, कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष अमेठी डॉ देवमणि तिवारी, दिनेश कुमार तिवारी,जगन्निवास मिश्र,सत्येन्द्र प्रकाश शुक्ल, डॉ अभिमन्यु पाण्डेय,पं विजय कुमार मिश्र धीरेन्द्र पाण्डेय, कैलाश नाथ शर्मा, स्वामी नाथ पाल, टी पी सिंह, कौशल किशोर मिश्र आदि की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।

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