Bangladesh Election : बांग्लादेश में विपक्ष के बहिष्कार के बीच हुए आम चुनाव में पीएम शेख हसीना (Sheikh Hasina) की पार्टी अवामी लीग नेदो तिहाई बहुमत हासिल की है। जिसके बाद शेख हसीना (Sheikh Hasina) रिकॉर्ड पांचवीं बार बांग्लादेश की पीएम बनाने जा रही हैं। हालांकि, शेख हसीना की इस जीत पर अमेरिका ने सवाल खड़े किए हैं। ने सोमवार को कहा कि विपक्ष के बहिष्कार और सामूहिक गिरफ्तारियों की वजह से हुआ मतदान स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं था।
Bangladesh Election : बांग्लादेश में विपक्ष के बहिष्कार के बीच हुए आम चुनाव में पीएम शेख हसीना (Sheikh Hasina) की पार्टी अवामी लीग नेदो तिहाई बहुमत हासिल की है। जिसके बाद शेख हसीना (Sheikh Hasina) रिकॉर्ड पांचवीं बार बांग्लादेश की पीएम बनाने जा रही हैं। हालांकि, शेख हसीना की इस जीत पर अमेरिका ने सवाल खड़े किए हैं। ने सोमवार को कहा कि विपक्ष के बहिष्कार और सामूहिक गिरफ्तारियों की वजह से हुआ मतदान स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं था।
अमेरिका विदेश विभाग (US State Department) के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर (Matthew Miller) ने कहा कि अमेरिका अन्य पर्यवेक्षकों के साथ विचार साझा करता है कि ये चुनाव स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं थे और हमें दुख है कि सभी दलों ने इसमें भाग नहीं लिया। मिलर ने एक बयान में कहा कि अमेरिका चुनावों के दौरान और उसके बाद के महीनों में हुई हिंसा की निंदा करता है। हम बांग्लादेश सरकार (Government of Bangladesh) को हिंसा की रिपोर्टों की विश्वसनीय जांच करने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
बता दें कि इस चुनाव में पूर्व पीएम खालिदा जिया (Khaleda Zia) की मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) व उसके सहयोगियों के बहिष्कार के बाद शेख हसीना की जीत लगभग तय मानी जा रही थी। खालिदा भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद घर में नजरबंद हैं। ब्रिटेन की टिप्पणी के बाद अमेरिका ने बांग्लादेश में चुनाव को लेकर सवाल खड़े किए हैं, लेकिन भारत का इस चुनाव पर रुख अलग है। पीएम नरेंद्र मोदी ने शेख हसीना की जीत और चुनावों के “सफल” संचालन की तारीफ की है।
इससे पहले बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के बहिष्कार के बीच हुए चुनाव की स्वीकार्यता से जुड़े सवाल पर शेख हसीना ने कहा था कि उनके लिए महत्वपूर्ण यह है कि लोग इस चुनाव को स्वीकार करते हैं या नहीं। इसलिए वह विदेशी मीडिया की स्वीकार्यता की परवाह नहीं करती। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आतंकी पार्टी ने क्या कहा या नहीं कहा।’