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Big Achievement : 2030 तक ब्रेस्ट कैंसर का मिट जाएगाा नामोनिशान , देसी वैज्ञानिक के नेतृत्व में तैयार हुई वैक्सीन

दुनिया से ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) बीमारी का अंत बहुत नजदीक आ गया है। वैज्ञानिकों ने इसके इलाज लिए एक ऐसी वैक्सीन तैयार की है जिसका पहला क्लीनिकल ट्रायल (First Clinical Trial) बेहद सफल रहा है। इस वैक्सीन से ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)  को रोका भी जाएगा और इसका इलाज भी किया जाएगा।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली: दुनिया से ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) बीमारी का अंत बहुत नजदीक आ गया है। वैज्ञानिकों ने इसके इलाज लिए एक ऐसी वैक्सीन तैयार की है जिसका पहला क्लीनिकल ट्रायल (First Clinical Trial) बेहद सफल रहा है। इस वैक्सीन से ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)  को रोका भी जाएगा और इसका इलाज भी किया जाएगा। खास बात यह है कि इस वैक्सीन को तैयार करने में देसी वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार (Scientist Dr. Amit Kumar) का बहुत बड़ा योगदान है। महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)  के मामले सामने आते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर(Breast Cancer)  से मौत भारत में होती है। भारत में करीब हर साल 98 हजार महिलाओं की मौत ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)  से हो जाती है जबकि दुनिया भर में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)  से होने वाली मौतों का आंकड़ा 6.70 लाख है।

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सबसे घातक ब्रेस्ट कैंसर ठीक हुआ

न्यूयॉर्क पोस्ट (New York Post) की खबर के मुताबिक इस वैक्सीन के पहले चरण का परीक्षण पूरा हो चुका है जिसमें 75 प्रतिशत से अधिक महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)  के खिलाफ मजबूत इम्यूनिटी देखी गई है। यह वैक्सीन ब्रेस्ट कैंसर को रोकने और उसका इलाज करने दोनों के लिए बनाई जा रही है। ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)  हर 8 में से एक महिला को प्रभावित करता है। अनिक्सा बायोसाइंसेज़ के सीईओ डॉ. अमित कुमार ने बताया कि यह बहुत उत्साहजनक बात है। यह वैक्सीन अनिक्सा बायोसाइंसेज़ और क्लीवलैंड क्लिनिक मिलकर बना रहे हैं। पहले चरण में 35 महिलाओं को वैक्सीन दी गई जिनमें से अधिकतर को ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर था। यह स्तन कैंसर (Breast Cancer)   का सबसे घातक रूप है। इसी प्रकार के कैंसर के कारण एंजेलीना जोली ने 37 साल की उम्र में अपनी दोनों स्तनों की सर्जरी करवाई थी।

साइड इफेक्ट्स  न के बराबर

इस परीक्षण में महिलाओं का समय-समय पर खून लिया गया ताकि यह देखा जा सके कि उनके शरीर में लक्षित अणु अल्फा-लैक्टालब्यूमिन (Alpha-lactalbumin) के खिलाफ कितनी एंटीबॉडी बन रही है। वैज्ञानिकों के कहना था कि इसका साइड इफेक्ट्स भी न के बराबर था। सिर्फ जहां वैक्सीन लगाई गई वहां थोड़ी जलन थी। डॉ. अमित कुमार (Dr. Amit Kumar) ने बताया कि यह एक नया तरीका है। अगर यह काम करता है और कैंसर को रोकने में सफल होता है तो हम स्तन कैंसर को पूरी तरह समाप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह पोलियो और अन्य संक्रामक बीमारियों को हम पूरी तरह से खत्म करने में कामयाब हुए उसी तरह स्तन कैंसर (Breast Cancer)  को भी 2030 तक खत्म करने में कामयाब हो जाएंगे। दूसरे चरण का परीक्षण अगले साल शुरू किया जाए जिसमें वैक्सीन को अधिक महिलाओं पर और स्तन कैंसर के अन्य प्रकारों पर आजमाया जाएगा।

कैंसर के खिलाफ वैक्सीन बनाना बहुत मुश्किल

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डॉ. अमित कुमार (Dr. Amit Kumar) ने कहा कि कैंसर के खिलाफ वैक्सीन बनाना बहुत मुश्किल रहा है।अभी तक कोई भी कैंसर वैक्सीन पूरी तरह सफल नहीं रही है। जब हम किसी इंफेक्शन डिजीज के लिए वैक्सीन बनाते हैं तो यह वायरस या बैक्टीरिया शरीर के बाहर भी होते हैं, इसलिए इनका आसानी से परीक्षण किया जाता है और इसकी इसलिए वैक्सीन बनाना भी आसान है लेकिन कैंसर कोशिकाएं सिर्फ शरीर में ही होती है। इसलिए शरीर के अंदर किस तरह की प्रतिक्रिया करती है, इसे समझने में बहुत समय लगता है। इसलिए यह चुनौतीपूर्ण होता है। डॉ. अमित कुमार ने बताया कि कैंसर की कोशिकाएं शरीर की अपनी स्वस्थ कोशिकाओं से बनती हैं। इसलिए प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें आसानी से पहचान नहीं पाती।

चिकित्सा क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि

अब तक के शोध में कैंसर कोशिकाओं में अधिक मात्रा में पाए जाने वाले प्रोटीनों को निशाना बनाया गया जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली ने उन स्वस्थ अंगों को भी नुकसान पहुंचाया जिनमें वह प्रोटीन मौजूद था। लेकिन स्तन कैंसर में एक खास बात यह है कि इसमें पाया जाने वाला एक प्रोटीन अल्फा-लैक्टालब्यूमिन (Alpha-lactalbumin) महिला के जीवन में सिर्फ गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान ही बनता है। 20 साल पहले क्लीवलैंड क्लिनिक के एक वैज्ञानिक ने यह विचार रखा कि जिन महिलाओं को और बच्चे नहीं पैदा करने हैं उन्हें अल्फा-लैक्टालब्यूमिन (Alpha-lactalbumin) के खिलाफ टीका दिया जाए। इसी विचार से इस परीक्षण की शुरुआत हुई। यह शोध चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है और इसे अमेरिका के रक्षा विभाग से आर्थिक सहायता मिल रही है। डॉक्टर कुमार को उम्मीद है कि मौजूदा सरकारी बजट कटौती से इसका असर नहीं पड़ेगा।

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