बिहार विधानसभा चुनाव के बीच अररिया जिले में पुल निर्माण में भ्रष्टाचार व लापरवाहियों का एक और मामला सामने आया है। सिकटी विधानसभा क्षेत्र के बकरा नदी पर पड़रिया में बना पुल धंसने की घटना अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अब फारबिसगंज प्रखंड को सांसद प्रदीप कुमार सिंह के पैतृक गांव कौआचार से जोड़ने वाला पुल भी खतरे में आ गया है।
बिहार। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच अररिया जिले में पुल निर्माण में भ्रष्टाचार व लापरवाहियों का एक और मामला सामने आया है। सिकटी विधानसभा क्षेत्र के बकरा नदी पर पड़रिया में बना पुल धंसने की घटना अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अब फारबिसगंज प्रखंड को सांसद प्रदीप कुमार सिंह के पैतृक गांव कौआचार से जोड़ने वाला पुल भी खतरे में आ गया है। बताया जा रहा है कि परमान नदी पर बने इस पुल का बीच का पाया अचानक धंस गया, जिससे आवाजाही पूरी तरह रोक दी गई है।
नीतीश-मोदी का भ्रष्टाचार देख लीजिए 👇
2022 में करोड़ों रुपए लगाकर बिहार के अररिया में एक पुल बना, अब यह पुल ढह गया है।
तीन साल भी पुल नहीं चल पाया है- ये है NDA का फर्जी विकास।
जनता सब देख रही है, अब वोट से चोट करेगी। pic.twitter.com/scQORIURR7
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— Congress (@INCIndia) November 3, 2025
कांग्रेस पार्टी ने एक्स पोस्ट पर वीडियो शेयर कर लिखा कि नीतीश-मोदी का भ्रष्टाचार देख लीजिए। पार्टी ने लिखा कि 2022 में करोड़ों रुपए लगाकर बिहार के अररिया में एक पुल बना, अब यह पुल ढह गया है। तीन साल भी पुल नहीं चल पाया है। ये है NDA का फर्जी विकास। अब जनता सब देख रही है, अब वोट से चोट करेगी।
आज तीन नवंबर को सुबह से अररिया में परमान नदी पर बना 3.80 करोड़ रुपये का पुल अचानक धंस गया। बीच का एक पाया (पिलर) बैठ गया और पूरा पुल तिरछा होकर रुक गया।
पुल का नाम-जगह:कौआचार घाट ब्रिज
फॉरबिसगंज प्रखंड, अररिया
कौआचार गांव को मुख्य सड़क से जोड़ता था
निर्माण: ग्रामीण कार्य विभाग (RWD), बिहार
क्या हुआ?
30 अक्टूबर को इंजीनियरों ने नोटिस किया कि पिलर हल्का सा धंसा है। 2 नवंबर रात तक सब ठीक था। 3 नवंबर सुबह 6 बजे अचानक धड़ाम। सबसे अच्छी बात यह था कि उस वक्त कोई गाड़ी नहीं थी। जीरो कैजुअल्टी। अब नाव से लोग नदी पार कर रहे हैं। 2022 में यह पुल परमान नदी पर ही भारत-नेपाल बॉर्डर वाला बड़ा पुल था। मिली जानकारी के अनुसार इस का उद्घाटन 2023 में अमित शाह ने किया था।
ग्रामीण, बोले-पुल निर्माण में हुई थीं गंभीर अनियमितताएं
ग्रामीणों ने बताया कि यह पुल वर्ष 2019 में करीब 3 करोड़ 80 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल निर्माण में गंभीर अनियमितताएं हुई थीं, जिसकी वजह से कुछ ही वर्षों में इसकी हालत जर्जर हो गई। इस घटना ने विभागीय अधिकारियों और सरकार को बिहार विधानसभा चुनाव के बीच परेशानी में डाल दिया है।
हर तरफ से उठ रहे सवाल
इससे पहले 18 जून 2024 को सिकटी प्रखंड के पड़रिया में बकरा नदी पर बन रहा 12 करोड़ रुपये का पुल भी धंस गया था। दोनों पुलों का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग, अररिया द्वारा ही कराया गया था, जिससे विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
इस मामले पर ग्रामीण कार्य विभाग के इंजिनियर चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि पुल के धंसने की जानकारी पहले ही विभाग को मिल गई थी। इस संबंध में 30 अक्टूबर 2025 को विभाग को पत्र भेजा गया था। आज स्थिति को देखते हुए डीएम और एसपी को भी बताया गया है ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने कहा कि संवेदक की पांच वर्ष की गारंटी अवधि समाप्त हो चुकी है, फिर भी पुल की आयु और निर्माण गुणवत्ता की जांच कराई जाएगी। विभागीय आदेश के तहत दोषियों पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
दोनों पुल के संवेदक भले हीं अलग-अलग, लेकिन विभाग है एक
ग्रामीण कार्य विभाग अररिया अनियमितता का बड़ा नाम बन गया है। यह अब दिखने लगा है कि इस विभाग में काम की निगरानी और गुणवत्ता भगवान भरोसे है। सिकटी के पड़रिया में बकरा नदी पर निर्माणाधीन 12 करोड़ रुपये का पुल हो या कौआचार जाने वाली कविलाशा पुल इन दोनों पुलों के संवेदक भले ही अलग-अलग हों, लेकिन इन दोनों पुलों के निर्माण कराने वाला विभाग अररिया ग्रामीण कार्य विभाग हीं है। इस पुल को बनाने के लिए 4.15 करोड़ रुपया का एस्टीमेट हुआ था और निर्माण में 3.80 करोड़ लगे थे। इस पुल की लम्बाई 129 मीटर थी।