कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेलवाला ने भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि, BJP का DNA ही जातिगत जनगणना विरोधी है। नरेंद्र मोदी और BJP ने वर्षों तक सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क तक, गरीबों, दलितों, वंचितों, शोषितों और पिछड़ों को उनकी गिनती के अधिकार से वंचित किया।
नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेलवाला ने भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि, BJP का DNA ही जातिगत जनगणना विरोधी है। नरेंद्र मोदी और BJP ने वर्षों तक सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क तक, गरीबों, दलितों, वंचितों, शोषितों और पिछड़ों को उनकी गिनती के अधिकार से वंचित किया। गरीबों और मेहनतकशों के दो नारे हैं-‘जितनी आबादी उतना हक’, और ‘जितनी आबादी उतनी हिस्सेदारी’। जातिगत जनगणना वक्त की मांग भी है और सामाजिक न्याय की धुरी भी। यह सामाजिक बदलाव और समानता दोनों का उद्घोष है-जिसका समय आ गया है।
उन्होंने आगे कहा, कांग्रेस का सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कांग्रेस की सामाजिक न्याय की सोच के केंद्र बिंदु में सदैव जातिगत जनगणना का भाव रहा है। कांग्रेस की इसी सोच के चलते, देश में आजादी के बाद पहली बार UPA-कांग्रेस की सरकार ने 19 मई 2011 को देश में जातिगत जनगणना करवाने का निर्णय लिया। 3 जुलाई 2015 को रिपोर्ट भी आ गई, लेकिन साजिश के तहत प्रधानमंत्री मोदी और मोदी सरकार ने, जातिगत जनगणना की उस गिनती को, उन सब आंकड़ों को कूड़ेदान में डाल दिया।
यह लड़ाई 2011 में शुरू हुई थी, जो 15 साल से चल रही है। 11 साल से राहुल गांधी जी जातिगत जनगणना को अपने जीवन का मिशन बनाकर इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। BJP-RSS दोनों पहले दिन से जातिगत जनगणना के विरोधी है, क्योंकि उनके DNA में दलित, आदिवासी, पिछड़ा, शोषित और गरीब विरोध है। BJP-RSS ने 2011 की जातिगत जनगणना रिपोर्ट को खारिज कर, कूड़ेदान में डाल दिया। सार्वजनिक तौर से, अदालत में जातिगत जनगणना का विरोध किया। जब कुछ नहीं बचा, तो लाचार होकर उन्हें गरीबों, दलितों, वंचितों, शोषितों, पिछड़ों, आदिवासियों के आगे झुकना पड़ा।
रणदीप सुरजेलवाला ने आगे कहा, 23 मई 2010 और 6 जून 2010 को भैया जी जोशी ने बयान जारी करके कहा कि RSS जनगणना में जाति गिनने के खिलाफ है और यह बयान RSS के मुखपत्र ऑर्गनाइजर समेत कई अखबारों में छपा था। इसके साथ ही कहा, साल 2011 में कांग्रेस ने जो जातिगत जनगणना कराई थी, उसे मोदी सरकार ने ख़ारिज करने का षड्यंत्र किया। 16 जुलाई 2015 को यह रिपोर्ट नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में रखी गई, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जो जातिगत जनगणना कराई है, उसका विश्लेषण करना अनिवार्य है। ऐसे में हम नीति आयोग के वाइस चेयरमैन की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट ग्रुप बना रहे हैं और इस पर विश्लेषण के बाद रिपोर्ट को लागू करेंगे।
लेकिन 2021 में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ पत्र दिया, जो बेहद चौंकाने वाला था। उस शपथ पत्र में सरकार ने कहा कि नीति आयोग के वाइस चेयरमैन की अध्यक्षता में जो एक्सपर्ट ग्रुप बनाया गया, उसमें नरेंद्र मोदी मेंबर बनाना ही भूल गए और उसकी कोई बैठक नहीं हुई। इसके अलावा, मोदी सरकार ने संसद में लिखित जवाब में जातिगत जनगणना कराने से मना कर दिया था। फिर जब इसी से जुड़ा एक मामला कोर्ट में गया तो नरेंद्र मोदी ने जो कोर्ट शपथ पत्र दिया, उसमें साफ तौर पर 5 बातें लिखी हैं।
जिसमें जनगणना के साथ जातिगत जनगणना कराना सही नहीं है और अगर ऐसा कराया गया तो जनगणना के आंकड़े गलत हो जाएंगे। हमने 2021 में जनगणना कराने की सारी तैयारी कर ली है, इसलिए उसमें जाति नहीं जोड़ी जा सकती। जनगणना करते हुए पिछड़े वर्गों की जाति का डाटा इकट्ठा करना प्रशासनिक तौर पर असंभव है, न ये पूरा हो सकता है और न ही सही होगा। 2021 की जनगणना में जाति को शामिल न करना मोदी सरकार का एक सोचा-समझा नीतिगत निर्णय है। अब इससे ज्यादा बड़ा सबूत क्या हो सकता है कि BJP के DNA में ही जातिगत जनगणना का विरोध है।